उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने गुरुवार को गांधी मैदान में खुले मंच से यह स्वीकार किया है कि राज्य के अंदर पुल निर्माण के कामों में उन्हें भी सरकारी पद-संवैधानिक पद पर रहते हुए कमीशन की राशि दी जाती रही है, जो उनके द्वारा स्वीकार भी किया जाता रहा है. जनता के सामने स्वीकार करने का यह मामला भ्रष्टाचार का मामला बनता है.
ऐसे में मुख्यमंत्री के बयान की जांच और साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है. उनका बयान अपने आप में दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है. इसलिए इन तथ्यों के आलोक में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर आपराधिक मामला दर्ज कर अनुसंधान के बाद न्यायालय में मुकदमा किया जाये.