अगर रह गये तो फिर क्या नहीं कर सकते हैं. यह बाद में पता चलेगा. गांधी मैदान के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के बयान से शुक्रवार को कैबिनेट में नियोजित शिक्षकों के वेतन वृद्धि या कोई नया वेतनमान देने पर मुहर लग सकता है.
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हम ऐसे मुरगा हैं कि टस से मस नहीं हो रहे : मांझी
पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि मुरगा का जब गरदन पकड़ाता है, तो वह छटपटाता है. आज उनके साथ भी वहीं स्थिति है. कुछ लोग उनकी गरदन पकड़े हुए हैं,लेकिन छटपटा नहीं रहे हैं. वह शुक्रवार को फिर से कैबिनेट की बैठक करने जा रहे हैं. 20 फरवरी तक उनके पास पूरा मौका […]
पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि मुरगा का जब गरदन पकड़ाता है, तो वह छटपटाता है. आज उनके साथ भी वहीं स्थिति है. कुछ लोग उनकी गरदन पकड़े हुए हैं,लेकिन छटपटा नहीं रहे हैं. वह शुक्रवार को फिर से कैबिनेट की बैठक करने जा रहे हैं. 20 फरवरी तक उनके पास पूरा मौका है. वह जाते-जाते शिक्षकों की भी व्यवस्था कर के जायेंगे.
सीएम ने कहा कि जीतन परिवार से आया है. वह जान रहा है कि कल उसका खात्मा है,लेकिन वह डर कर काम नहीं करेगा. मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने काम किया है. उसमें बाधा नहीं आयेगी. वह बिना भय के जब तक हैं काम करते रहेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राजनीतिक बात की चर्चा नहीं करेंगे? क्या स्थिति हैं ? कौन लोग राजनीतिक अस्थिरता फैलाना चाहते हैं. उसके बारे में कुछ नहीं कहेंगे. आप सभी लोग जानते हैं. हमारा कर्तव्य है कि हम अपने दायित्वों का निर्वहन करें.
मांझी हैं कर्ण, दूसरों के लिए की जिंदगी कुरबान : पटेल
प्रदेश माध्यमिक शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री से पहले शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कर्ण हैं. कर्ण ने जिस प्रकार अपनी जिंदगी कुरबान कर दी और दूसरे का काम करता रहा. उसी तरह जीतन राम मांझी भी हैं. इसलिए वह मरते दम तक मुख्यमंत्री के साथ खड़े रहेंगे. कुछ लोग जो सोचते हैं कि जीतन राम मांझी माटी के मूरत हैं, जो कहेंगे वह करेंगे, तो लोग अपनी सोच को बदलें. जीतन राम मांझी वैसे लोगों के कलेजा पर बैठ कर मूंग दर कर राज करेंगे. मंच से ही मुख्यमंत्री से वृशिण पटेल ने कहा कि बार-बार भगवान किसी को ताकत नहीं देता है. अगर भगवान ने ताकत दी है तो आप अपनी मुट्ठी खोल दीजिए. उन्होंने कहा कि जब वह 2005 में पहली बार शिक्षा मंत्री बने तो कहा था कि सरकार का दिवालिया निकल जायेगा,लेकिन वह वित्तरहित शिक्षा नीति का कलंक नहीं सहने वाले हैं. वित्तरहित शिक्षकों को नियोजित शिक्षकों का दर्जा दिये जाने की मांग भी उठती है, लेकिन इनकी नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया है. इसलिए नियोजित शिक्षक नहीं बनाया जा सकता है.
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