संवाददाता, पटनाराज्य के पूर्व वित्त सचिव वीएस दुबे का कहना है कि राज्य सरकार की भारी भरकम घोषणा से सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ने की आशंका है. बजट में गैर योजना मद का आकार काफी बढ़ जायेगा, तो इसका सीधा असर योजना आकार पर पड़ेगा. योजना आकार छोटा होने से विकासात्मक योजनाओं की रफ्तार कम हो जायेगी. इसे संतुलित नहीं किया गया, तो हालात 1990 जैसे हो जायेंगे, जब बजट का अधिकांश हिस्सा सिर्फ सैलरी और पेंशन पर ही खर्च होता था. विकासात्मक योजनाओं पर खर्च नहीं के बराबर होता था और राज्य की राजकोषीय स्थिति खराब हो गयी थी.ऐसी स्थिति से बचने के लिए राज्य को अपने रिसोर्स का आकलन समुचित तरीके से करने की जरूरत है. ऐसे इस बार केंद्र की तरफ से अतिरिक्त रुपये मिलने की संभावना है. इस बार 32 प्रतिशत से बढ़ कर करीब 40 प्रतिशत सेंट्रल टैक्स की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. अगर ये रुपये मिल भी जाते हैं, तब भी स्थिति थोड़ी सुधरेगी. इतना बड़ा बोझ सहन करने के लिए राज्य के पास अपने संसाधनों का मजबूत होना बेहद जरूरी है. सरकार को तमाम वित्तीय संसाधनों पर सूक्ष्मता से ध्यान रखते हुए इसका प्रबंधन करना चाहिए.
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अगर वित्तीय प्रबंधन सही हुआ, तो 1990 जैसे हो जायेंगे हालात : दूबे
संवाददाता, पटनाराज्य के पूर्व वित्त सचिव वीएस दुबे का कहना है कि राज्य सरकार की भारी भरकम घोषणा से सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ने की आशंका है. बजट में गैर योजना मद का आकार काफी बढ़ जायेगा, तो इसका सीधा असर योजना आकार पर पड़ेगा. योजना आकार छोटा होने से विकासात्मक योजनाओं की […]
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