पटना: हिंसा से पीड़ित महिलाएं रोजाना सुरक्षा व न्याय की गुहार लेकर महिला आयोग पहुंचती हैं. लेकिन आयोग से तारीख-पर-तारीख उनकी उम्मीद पर पानी फेर देती है. पांच साल से 3456 मामले लंबित हैं.
इन मामलों की होती है सुनवाई
दहेज हत्या, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, दुष्कर्म, जमीन संबंधी व अन्य मामलों की सुनवाई आयोग में होती है. प्रतिवर्ष दो हजार से अधिक मामले दर्ज होते हैं. जिनमें लगभग एक हजार मामलों का निष्पादन होता है.
केस-एक
दानापुर की रेखा मिश्र दो साल से न्याय के लिए आयोग कार्यालय का चक्कर लगा रही हैं. 2011 में प्रताड़ना की शिकायत दर्ज करायी थी. पिछले एक साल से आगे की तारीख मिल रही है.
केस-दो
नौबतपुर की मुन्नी देवी ने घर से निकाले जाने पर 2012 में मामला दर्ज कराया था, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं आया. पूछने परप्रतिपक्ष के उपस्थित नहीं होने की बात कही जाती है.
केस-तीन
रिंकी ने सगाई के एक साल बाद लड़के द्वारा शादी से इनकार किये जाने की शिकायत की है. बताया कि सुनवाई की प्रक्रिया लंबी होने से मामला कमजोर पड़ जाता है.
आयोग में दर्ज मामलों में कार्रवाई की जाती है. प्रतिपक्ष को उपस्थित होने के लिये तीन बार समन भेजा जाता है. तीन नोटिस पर प्रतिपक्ष के उपस्थित नहीं होने पर एसपी द्वारा कार्रवाई की जाती है. जिससे पीड़िता को थोड़े लंबे समय का इंतजार करना पड़ता है. कई मामलों में पीड़िता स्वयं तारीख पर उपस्थित नहीं हो पाती हैं.
कहक शां परवीन, अध्यक्ष, बिहार राज्य महिला आयोग