पटना: धर्म कोई मंदिर, मसजिद या गुरुद्वारा नहीं है. धर्म वह नीति है, जिससे समाज व्यवस्थित रूप से चल सके. प्रकृति के नियमों को समझ कर उसके साथ चलने का नाम धर्म है. धर्म मनुष्य द्वारा खोजा गया विज्ञान है, जो प्रकृति के समन्वय के साथ चलता है. इसमें और खोज और विेषण की जरूरत है. ये बातें जेएनयू के राजनीति अध्ययन केंद्र के सहायक प्राध्यापक डॉ मनींद्रनाथ ठाकुर ने रविवार को एएन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान में इप्टा द्वारा आयोजित ललित किशोर सिन्हा स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहीं. विषय था-राष्ट्रवाद, धर्म और नागरिक.
धर्म के नाम पर हो रहा विभाजन : शिक्षाविद प्रो विनय कंठ ने कहा कि धर्म के नाम पर विभाजन हो रहा है. यह हमेशा राज्य की नीतियों में रहा है. धर्म की कोई एक व्याख्या नहीं है. धर्म की एकांकी व्याख्या राजनीति की साजिश है. धर्म को बचाने की कोशिश करनी चाहिए. धर्म संस्कृति और परंपरा का भी अंग है. संचालन इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष तनवीर अख्तर ने किया. मौके पर वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा, रंगकर्मी जावेद अख्तर आदि उपस्थित थे.