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बिहार की राजनीति : तब और अब का फर्क

सीन एक राजभवन और एक, अणे मार्ग के ठीक बीच में है एक बड़ा-सा चबूतरा. देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा इसी चबूतरे पर स्थापित है. 19 मई, 2014 को एक अणो मार्ग से निकल कर इसी चबूतरे की सीढ़ियों पर तब के निवर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपना […]

सीन एक
राजभवन और एक, अणे मार्ग के ठीक बीच में है एक बड़ा-सा चबूतरा. देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा इसी चबूतरे पर स्थापित है. 19 मई, 2014 को एक अणो मार्ग से निकल कर इसी चबूतरे की सीढ़ियों पर तब के निवर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. वह मांझी को अपने साथ लेकर राजभवन चले गये थे. अगले दिन मांझी ने राज्य के 23वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी.
सीन दो
जगह वही है. राजभवन और एक अणो मार्ग के बीच वही चबूतरा. नौ फरवरी, 2015 को राजभवन से निकल कर इसी चबूतरे के पास जीतन राम मांझी ने दोहराया कि नीतीश कुमार का जदयू विधायक दल का नेता चुना जाना असंवैधानिक है. हमने महामहिम से बहुमत साबित करने के लिए सेक्र ेट वोटिंग की बात कही है. ऐसा इसलिए कि हमारे समर्थक विधायकों को डराया-धमकाया जा सकता है.
पटना: कुछ महीनों में ही बिहार की राजनीति बदल चुकी है. जदयू में ही पक्ष-विपक्ष बन गया है. कल तक जो अपने थे, वे पराये हो चुके हैं. कल तक जो पराये थे, वे आज एक साथ नयी सरकार बनाने की मशक्कत कर रहे हैं. नीतीश और लालू राजभवन में अपना पक्ष रखने के बाद एक साथ निकले. उनके साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव भी थे. वहां मीडियाकर्मियों से बात की और अलग-अलग गाड़ियों पर सवार होकर अपने आवास की ओर रवाना हो गये. 7 सकरुलर रोड पर नीतीश कुमार के आवास के बाहर पार्टी कार्यकर्ता जिंदाबाद के नारे लगाते रहे. लालू प्रसाद की गाड़ी गुजरी, तो नारे का अंदाज बदला : लालू यादव जिंदाबाद. कुछ ही फर्लाग की दूरी पर उसी सड़क पर उनका भी आवास है. लालू की गाड़ी आगे निकली, तो नारे का थीम भी बदल गया था : नीतीश कुमार जिंदाबाद.
कार्यकारी राज्यपाल से शरद-लालू ने कहा : हमारे विधायक टस-से-मस नहीं होनेवाले. हमारा अनुरोध है कि जितनी जल्दी हो सके सरकार बनाने का रास्ता साफ किया जाये. उन्हें बताया गया कि राजभवन के गेट पर उनके 130 विधायक खड़े हैं. आप चाहें, तो उन्हें बुला कर परेड करा सकते हैं और बहुमत का अंदाजा ले सकते हैं. जदयू नेता श्याम रजक के अनुसार : महामहिम ने हमें भरोसा दिलाया है कि वह जो भी फैसला लेंगे, वह विधिसम्मत होगा.गहमागहमी चल रही थी. मंत्रियों-विधायकों के आने-जाने का सिलसिला भी चलता रहा. हर आने-जाने पर भीड़ में हलचल होती. नारे लगते. चर्चा एक ही बात की थी कि अब त्रिपाठी जी क्या करते हैं? नीतीश जी का ओथ कब होगा?
दोपहर के तीन बजे रहे थे. खबर आयी कि मांझी जी राजभवन गये हैं. लोगों की उत्सुकता बढ़ी. कई लोग राजभवन की ओर भागे. तीन बज कर 25 मिनट पर मुख्यमंत्री राजभवन से निकले. फोटोग्राफर और मीडियाकर्मी उनकी ओर लपके. पर, बीच में सुरक्षा का घेरा था. मीडियाकर्मियों की समवेत आवाज गूंजी : मुख्यमंत्री जी. उनकी गाड़ी रुकी. वह चबूतरे की ओर आये. उनके साथ मंत्री विनय बिहारी थे. सम्राट चौधरी और भीम सिंह भी थे. नीतीश मिश्र एक ओर थे, तो दूसरी ओर पूर्व सांसद साधु यादव भी थे.
मांझी का काफिला एक अणो की ओर निकला, तो उधर जदयू के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार 7 सकरुलर रोड से निकले. वह कहते हैं : हमने अपनी बात महामहिम तक पहुंचा दी. अब फैसला उन्हें करना है. हम चाहते हैं कि बहुमत जुटाने के लिए किसी को गेम करने का मौका नहीं मिले. जाहिर है उनका इशारा भाजपा की ओर था.

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