संविधान विशेषज्ञ बोलेनयी दिल्ली : संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी विधानसभा भंग करने की सिफारिश करते हैं, तो उसे मानने के लिए राज्यपाल बाध्य नहीं हो सकते हैं. क्योंकि कैबिनेट की जिस बैठक में उन्हें विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने के लिए अधिकृत किया गया था, उसमें मंत्रियों के बहुमत ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. मांझी इस सिफारिश को कैबिनेट का निर्णय नहीं कह सकते हैं.पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा कि बहुमत ( कैबिनेट मंत्रियों का) अभिभावी (प्रिवेल) होगा और यदि सीएम मांझी विधानसभा भंग करने की सिफारिश भेजते हैं, तो उसे कैबिनेट का निर्णय नहीं कहा जाता सकता. वरीय अधिवक्ता अमरेंद्र शरण ने बिहार के अस्थिर राजनीतिक स्थिति को किसी भी संविधान विशेषज्ञ के लिए एक दु:स्वप्न करार दिया. हालांकि, उन्होंने कहा, राज्यपाल उस किसी भी निर्णय को मानने को बाध्य नहीं हैं, जिसे कैबिनेट मंत्रियों के बहुमत का समर्थन नहीं हो और मुख्यमंत्री की ऐसी किसी सिफारिश पर उन्हें विधानसभा नहीं भंग करनी चाहिए, जिसे आधे से अधिक मंत्रियों का समर्थन प्राप्त नहीं है.शनिवार को कैबिनेट की जिस बैैठक में विधानसभा भंग करने के लिए सीएम मांझी को अधिकृत किया गया, उसमें सिर्फ सात मंत्रियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था, जबकि नीतीश समर्थक 21 मंत्रियों ने विरोध किया था.पूर्व केंद्रीय विधि मंत्री और वरीय अधिवक्ता शांति भूषण ने भी कहा कि ऐसे स्थिति में विधानसभा भंग नहीं हो सकती है, जब प्रस्ताव के विरोध में कैबिनेट का बहुमत हो. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यदि पार्टी में प्रावधान हैं, तो शरद यादव द्वारा विधायक दल की बैठक बुलाना गलत नहीं है.
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मांझी की सिफारिश मानने को राज्यपाल बाध्य नहीं
संविधान विशेषज्ञ बोलेनयी दिल्ली : संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी विधानसभा भंग करने की सिफारिश करते हैं, तो उसे मानने के लिए राज्यपाल बाध्य नहीं हो सकते हैं. क्योंकि कैबिनेट की जिस बैठक में उन्हें विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने के लिए अधिकृत किया गया था, उसमें मंत्रियों […]
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