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पटना: अगर आप पूर्व मध्य रेल के क्षेत्र में सफर कर रहे हैं, तो 14 ट्रेनों में विशेष चौकसी की जरूरत है. रेलवे में दर्ज अपराध के आंकड़े बताते हैं कि इस जोन में दौड़नेवाली 360 ट्रेनों में से 14 ट्रेनें ऐसी हैं, जिनमें चोरी, डकैती और जहरखुरानी की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. स्टेशन […]

पटना: अगर आप पूर्व मध्य रेल के क्षेत्र में सफर कर रहे हैं, तो 14 ट्रेनों में विशेष चौकसी की जरूरत है. रेलवे में दर्ज अपराध के आंकड़े बताते हैं कि इस जोन में दौड़नेवाली 360 ट्रेनों में से 14 ट्रेनें ऐसी हैं, जिनमें चोरी, डकैती और जहरखुरानी की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. स्टेशन परिसर की बात करें, तो इस तरह के अपराध पटना जंकशन में सबसे ज्यादा दर्ज हुए हैं.

ट्रेनों में आये दिन बढ़ रहे आपराधिक व नक्सली घटना को लेकर सुरक्षा से जुड़े अफसरों के बीच हुई समन्वय मीटिंग में यह आकड़ा सामने आया था. इसके बाद इन ट्रेनों में सुरक्षा बढ़ाने के रणनीति तैयार की गयी है. आंकड़े साबित बताते हैं कि वर्ष 2014-15 में चोरी, डकैती, जहरखुरानी से लेकर दुष्कर्म की 305 घटनाएं घटी हैं. इनमें 232 घटनाएं ट्रेन के अंदर की हैं, जबकि जोन के स्टेशन परिसरों में अपराध के 129 मामले ही सामने आये हैं. साफ है कि अपराधी चलती ट्रेनों को निशाना अधिक बना रहे हैं और करोड़ों रुपये के सामान पर हाथ साफ कर रहे हैं.

इन ट्रेनों में अधिक अपराध
छपरा-टाटा एक्सप्रेस, पंजाब मेल, दानापुर-हावड़ा एक्सप्रेस, रांची जनशताब्दी, पटना- हटिया एक्सप्रेस, पटना-कुर्ला एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, साहेबगंज-पटना इंटरसिटी, धनबाद-पटना इंटरसिटी, गंगा-दामोदर एक्सप्रेस, राज्य रानी एक्सप्रेस, हावड़ा-जमालपुर एक्सप्रेस, आम्रपाली एक्सप्रेस.
30 फीसदी ट्रेनों में है सुरक्षा
आरपीएफ, जीआरपी ट्रेनों में सुरक्षा के लाख दावे करें, लेकिन हकीकत यह है कि जोन मी 30 फीसदी ट्रेनों में ही गश्ती हो पाती है. वह भी दो से चार जवानों के भरोसे. रेल प्रशासन के हिसाब से जोन में मेल-एक्सप्रेस, पैसेंजर, मेमू, सुपर फास्ट को मिला कर 360 से अधिक ट्रेनें दौड़ती हैं. इनमें से 58 फीसदी ट्रेनों में आरपीएफ गश्त करती है. इसी तरह बिहार जीआरपी 29 और झारखंड जीआरपी अपने क्षेत्र में 18 ट्रेनों में गश्त करती है. साफ है कि 360 में से 132 ट्रेनों में ही जवानों की तैनाती हो रही है. वह भी सिर्फ दो-चार जवानों की. 24 कोच में चार जवानों की तैनाती नाकाफी है. ट्रेनों की बढ़ती संख्या और बढ़ते अपराध को देखते हुए बल की संख्या में वृद्धि की जरूरत है. लेकिन, इस अहम जरूरत की लंबे समय से अनदेखी की जाती रही है.
पटना सबसे अतिसंवेदनशील स्टेशन
पूर्व मध्य के कुल रेलवे स्टेशनों में अपराध को लेकर पटना अत्यधिक संवेदनशील है. वर्ष 2014 में जोन के रेलवे स्टेशनों में चोरी, उठाईगिरी, जहरखुरानी की 129 वारदातें हुई हैं. इनमें सबसे ज्यादा 67 मामले पटना जंकशन पर दर्ज हुई है. इसके बाद मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर स्टेशन पर अधिक वारदात हुई हैं. बड़ी बात तो यह है कि जंकशन पर डेढ़ साल पहले हुआ बम विस्फोट के बाद गृह मंत्रालय ने भी पटना जंकशन को अति संवेदनशील घोषित किया था और यहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की बात कही गयी थी.
बिहार में सबसे ज्यादा अपराध
पूर्व मध्य रेल की सीमा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल तक फैली है. अपराधों का आंकलन राज्यवार करें, तो अपराधियों की सक्रियता बिहार में सबसे ज्यादा है. बीते साल बिहार में ट्रेन और स्टेशन परिसर में 198 अपराध दर्ज हुए हैं. उत्तर प्रदेश में 127 और झारखंड में 78 मामले पंजीबद्ध हुए.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिन ट्रेनों में वारदातें अधिक हुई हैं उनको चिह्न्ति कर उसमें विशेष सुरक्षा व्यवस्था बढ़ायी गयी है. अधिकतर ट्रेनों में आरपीएफ और जीआरपी के जवान गश्त कर रहे हैं. हालांकि, रेल पुलिस के पास स्टाफ की कमी है इस वजह से पूरी ट्रेन में स्कॉर्ट नहीं दे पा रहे हैं.
पीएन मिश्र, रेल एसपी.

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