2013 में नामांकित होने वाले कई छात्रों के नामांकन को वेरिफिकेशन के बाद रद्द कर दिया गया है. इसको लेकर बीएड के नामांकन के लिए गाइड लाइन जारी की गयी है.
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फर्जी सर्टिफिकेट देना पड़ सकता है महंगा
पटना: टीचर बनने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट की मदद महंगी पड़ सकती है. बीएड के लिए लिया जाने वाला टेस्ट भी पास कर गये, तो भी पकड़ में आने के बाद आपके नामांकन को रद्द कर दिया जायेगा. ऐसी शिकायत मिलने पर कुछ नामांकन को हाल ही में रद्द किया गया है. 2013 में नामांकित […]
पटना: टीचर बनने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट की मदद महंगी पड़ सकती है. बीएड के लिए लिया जाने वाला टेस्ट भी पास कर गये, तो भी पकड़ में आने के बाद आपके नामांकन को रद्द कर दिया जायेगा. ऐसी शिकायत मिलने पर कुछ नामांकन को हाल ही में रद्द किया गया है.
नामांकन के बाद होता है वेरिफिकेशन
बीएड में नामांकन के बाद इग्नू और नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी द्वारा वेरिफिकेशन का काम किया जाता है. इसके लिए जिस स्कूल का टीचिंग एक्सपीरियंस अभ्यर्थी देते हैं. बाद में उस स्कूल से सर्टिफिकेट का वेरिफिकेशन करवाया जाता है. एक स्कूल से मिली जानकारी के अनुसार कई बार अभ्यर्थी उस स्कूल के टीचर नहीं होते हैं, लेकिन पैसे के बल पर सर्टिफिकेट स्कूल से बनवा लेते है. ऐसे में वेरिफिकेशन के समय स्कूल को झूठ बोलना पड़ता है. कई बार स्कूल इसे छुपा लेता है. क्योंकि जब वेरिफिकेशन ऑन द स्पॉट होता है तो स्कूल के लिए काफी मुश्किल भरा हो जाता है. वहीं एक स्कूल से मिली जानकारी के अनुसार कई बार अभ्यर्थी फर्जी सर्टिफिकेट गांव के किसी स्कूल से बनवा लेते हैं. ऐसे में अगर वह स्कूल किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से एफिलिएटेड नहीं होता है तो नामांकन रद्द कर दिया जाता है.
इन बातों का ख्याल
अभ्यर्थी किसी स्कूल में टीचर के रूप में कार्यरत हो
पिछले दो सालों से स्कूल में पढ़ा रहें हों
वर्तमान में भी किसी स्कूल में पढ़ा रहे हों
बीएड का टेस्ट देते समय स्कूल में कार्यरत हो
स्कूल की सैलरी स्लिप देनी होगी
पीएफ एकांउट होना चाहिए
मान्यता प्राप्त बोर्ड के अंतर्गत स्कूल आता हो
बीएड में नामांकन के लिए नियम तो है. लेकिन फिर भी फर्जी सर्टिफिकेट के मामले सामने आते हैं. वेरिफिकेशन के लिए जब स्कूलों के पास भेजा जाता है, तो कई जगहों से तो जवाब भी नहीं आता है. ऐसे में कई वेरिफिकेशन पेंडिंग में ही पड़ा रहता है. कोई पकड़ में आता है, तो उसका नामांकन हम रद्द करते हैं.
क्यू हैदर, डायरेक्टर, इग्नू
नामांकन प्रक्रिया काफी टाइट है. हम उन्हें ही परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हैं जो स्कूल में रहने की वर्तमान स्थिति बताते हैं. इसके अलावा सैलरी स्टेटस भी मांगा जाता है. लेकिन फिर भी कई केस आते है जो फर्जी पकड़ में आते है. ऐसी स्थिति में उनके नामांकन को रद्द कर दिया जाता है.
रास बिहारी सिंह, डायरेक्टर, नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी
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