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नहीं दी जा रहीं सुविधाएं, महिलाएं छोड़ रही हैं ड्राइवरी

अनुपम कुमारी पटना : महिला सशक्तीकरण को लेकर एक ओर जहां महिलाओं को ऑटोचालक की ट्रेनिंग दी जा रही है. वहीं, दूसरी ओर ट्रेनिंग ले चुकी महिलाएं इसे छोड़ दूसरे कार्यो को कर रही हैं. लगभग डेढ़-दो साल पहले प्रशिक्षित हुई 40 में से मात्र सात महिला ड्राइवर ही गाड़ियां चला रही हैं. इनमें से […]

अनुपम कुमारी
पटना : महिला सशक्तीकरण को लेकर एक ओर जहां महिलाओं को ऑटोचालक की ट्रेनिंग दी जा रही है. वहीं, दूसरी ओर ट्रेनिंग ले चुकी महिलाएं इसे छोड़ दूसरे कार्यो को कर रही हैं. लगभग डेढ़-दो साल पहले प्रशिक्षित हुई 40 में से मात्र सात महिला ड्राइवर ही गाड़ियां चला रही हैं.
इनमें से भी कुछ छोड़ने की तैयारी में हैं. वर्ष 2013 में ऑटो रिक्शा चालक संघ की पहल पर 40 महिलाओं को ऑटोचालक की ट्रेनिंग दी गयी. इनमें 14 महिलाओं को बैंक से ऑटो रिक्शा भी दिलाया गया. बावजूद इसके मात्र सात महिलाएं ही ऑटो चला रही हैं. उचित व्यवस्था नहीं होने से आधी महिलाएं या तो ऑटो बेच कर चली गयीं या फिर दूसरे कार्यो को करने लगी. इससे मात्र सात महिलाएं ऑटो चला रही हैं. इनमें जंकशन में पांच व एयरपोर्ट पर दो हैं.
सुननी पड़ती है भद्दी व ईल बातें : ऑटो स्टैंड नहीं होने से पुरुष चालकों द्वारा गंदी व भद्दी बातें भी सुननी पड़ती है. बैठनेवाले सवारी से हमें सहयोग तो मिल रहा, लेकिन अन्य ऑटोचालकों से सहयोग नहीं मिलने से परेशानी हो रही हैं.
पार्किग स्टैंड भी नहीं है : रिंकी बताती हैं कि महिला पार्किग स्टैंड नहीं होने से शौचालय आदि की समस्या हो रही है. वहीं, राजा बाजार की अनिता बताती हैं कि पिछले दो माह से हाथ टूट जाने से ऑटो नहीं चला पा रही हूं. पति और परिवारवालों पर गाड़ी का लोन अतिरिक्त बोझ बना चुका है. ऐसे में सरकार भी महिला चालकों का साथ नहीं दे रही है. ऐसे में महिला ऑटोचालकों की परेशानियां बढ़ी हुई है.
नहीं है शौचालय की सुविधा
पटना जंकशन पर काम कर रही सरिता पांडेय बताती है कि ऑटो चालक के रूप में महिलाओं को सुविधा नहीं मिलने से कई तरह की परेशानियां हो रही है. महिला ऑटोचालक समिति के गठन करने के बाद भी कोई महिला चालक इसका नेतृत्व नहीं कर रही है. इससे हम महिलाएं अपनी समस्याओं को रख नहीं पा रहे हैं.
महिला चालकों के हित में सरकार से शहर में दो जगहों पर प्रीपेड ऑटो रिक्शा स्टैंड बनाने की मांग की गयी थी. स्टैंड नहीं रहने से महिला चालकों को मूलभूत परेशानियों से जूझना पड़ता है. स्टैंड में कम से कम बैठने व शौचालय की व्यवस्था होनी ही चाहिए.
नवीन कुमार मिश्र, कार्यकारिणी सदस्य, जिला ऑटो रिक्शा चालक संघ

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