— समाज कल्याण विभाग व यूनिसेफ ने आयोजित की कार्यशालासंवाददाता, पटना बच्चों के अधिकार को लेकर राज्य बाल नीति बनी है. इसका मकसद है कि बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सतर्क, नैतिक रूप से बलवान और कौशल से लैश हो सके. बाल नीति में बच्चों को विकास का समान अवसर प्रदान करने पर जोर दिया गया है. समाज कल्याण विभाग और यूनिसेफ की ओर से शुक्रवार को बिहार राज्य बाल नीति 2014 के प्रारूप पर विमर्श के लिए होटल मौर्य में कार्यशाला हुई. यूनिसेफ के मंसूर कादरी ने बताया कि बाल नीति में 18 वर्ष से कम आयु वर्ग को बच्चा माना गया है. इस आयु वर्ग के समग्र विकास व संरक्षण के लिए दीर्घकालीक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया गया है. बच्चों की नीति में जीवन की सुरक्षा,विकास,स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान दिया गया है. कहा गया है कि सभी बच्चों के लिए जन्म से पहले, जन्म के दौरान व उसके बाद आवश्यक स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध करायी जाये. हर बच्चों को भोजन और कुपोषण से सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है. पालन पोषण में लड़कियों और वंचित समुदाय के बच्चों का ख्याल रखा जाना चाहिए. इसके अलावा आपदा की स्थिति में भी संरक्षित करने की आवश्यकता है. बच्चों को शिक्षा और विकास के अवसर प्रदान किये जाये. नीति में इस बात की चर्चा है कि सरकार बच्चों के शोषण से बचायेगी. बच्चों के अधिकार सुरक्षित करने के लिए सरकार,समाज,परिवार,स्थानीय समुदाय,गैर सरकारी संगठन,सिविल सोसाइटी,मीडिया व निजी क्षेत्र के स्टेक होल्डरों से जुड़ाव आवश्यक है. कार्यशाला में समाज कल्याण विभाग की उप निदेशक जगजीत कौर घई समेत स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग समेत कई संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे.
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बच्चों को विकास का समान अवसर दिलायेगी बाल नीति,सं
— समाज कल्याण विभाग व यूनिसेफ ने आयोजित की कार्यशालासंवाददाता, पटना बच्चों के अधिकार को लेकर राज्य बाल नीति बनी है. इसका मकसद है कि बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सतर्क, नैतिक रूप से बलवान और कौशल से लैश हो सके. बाल नीति में बच्चों को विकास का समान अवसर प्रदान करने […]
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