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तंबाकू उत्पाद पर नियंत्रण: घोषणा कर वायदे से पलटी सरकार
पटना: राज्य को तंबाकू जनित बीमारियों से बचाने को लेकर गंभीर दिख रही बिहार सरकार अचानक अपने वायदे से पलट गयी है. मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में सरकार ने तंबाकू उत्पादों पर वैट 30 फीसदी से घटा कर 20 फीसदी किये जाने का फैसला कर सबको चौंका दिया है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने […]
पटना: राज्य को तंबाकू जनित बीमारियों से बचाने को लेकर गंभीर दिख रही बिहार सरकार अचानक अपने वायदे से पलट गयी है. मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में सरकार ने तंबाकू उत्पादों पर वैट 30 फीसदी से घटा कर 20 फीसदी किये जाने का फैसला कर सबको चौंका दिया है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पिछले साल सात नवंबर को सभी तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही इन पर टैक्स बढ़ाने की घोषणा कर तंबाकू उन्मूलन की दिशा में गंभीर कदम बढ़ाया था, मगर दो महीने बाद ही मंत्रिपरिषद से इन पर वैट घटाने का फैसला कर उनकी घोषणा को ही पलट दिया है.
मुख्यमंत्री ही नहीं बैठकों में अधिकारी भी तंबाकू उन्मूलन को लेकर गंभीर दिखते हैं, मगर फैसले के वक्त उनकी गंभीरता नहीं दिखती. वर्तमान मुख्य सचिव के साथ ही तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी राज्यस्तरीय तंबाकू नियंत्रण समन्वय समिति की बैठकों में तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था. 13 दिसंबर, 2013 को तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में वित्त/वाणिज्य कर विभाग को कम से कम 60 से 70 प्रतिशत कर बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया था. इसी तरह, 25 जुलाई, 2014 को वर्तमान मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने भी तंबाकू उत्पादों पर इसी तरह की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था. उच्चस्तरीय बैठक ही नहीं सरकार ने हाइकोर्ट को दिये हलफनामे में भी यही जानकारी दी है. एक एनजीओ द्वारा हाइकोर्ट में दायर सिविल रिट 14729/2013 में सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि उनके द्वारा तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.
तंबाकू के सेवन से यह हो सकता है
तंबाकू के सेवन से सिर और गर्दन, गले, और फेफड़े के कैंसर के मामले सबसे अधिक होते हैं, जिसको रोका जा सकता है . सभी प्रकार के कैंसरों में तंबाकू सेवन से जुड़े कैंसरों का हिस्सा 40 प्रतिशत है. धूम्रपान करने वाले 89 प्रतिशत व्यक्ति 18 साल की उम्र तक तंबाकू सेवन का आदी हो जाते हैं
टीनएजर लड़के-लड़कियां धूम्रपान करते हैं उनमें से 50 प्रतिशत लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होकर मर जाते हैं. औसतन धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 26 प्रतिशत घट जाती हैं.
तंबाकू का सेवन इन स्थलों पर कैंसर पैदा करता है, जिसमें मुंह, गला, फेफड़ा, कंठ, खाने की नली, मूत्रशय, गुर्दा, पेनक्रियाज, सेरविक्सा.
तंबाकू के सेवन से लंबे समय तक पीड़ित रखनेवाली ब्रोंकाइटिस और इम्फीसिया की बीमारी होती है, इनमें सांस लेने में तकलीफ होती है.
तंबाकू सेवन से हदय और रक्त संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ती है. इस बुरी आदत से होने वाली अधिकांश मौतें दिल के दौरा पड़ने से होता है.
तंबाकू के सेवन से पुरुषों में नपुंसकता, महिलाओं की प्रजनन क्षमता में कमी आना और बांझपन जैसी प्रजनन संबंधी समस्याएं पैदा होती है.
बाल, कपड़े और हाथ मैले हो जाते हैं दांत व उंगलियां दागदार हो जाते हैं तथा मुंह व आंखों के ईद गिर्द झुर्रियां आ जाती हैं.
दूसरे लोगों के धूम्रपान करने का असर सामने खड़े लोगों पर तेजी से पड़ता है.
त्नहरेक सिगरेट पीने के साथ मनुष्य का 14 मिनट उम्र घट जाता है.
त्नसिगरेट पीने वाले में : फेफड़े का कैंसर होने का खतरा 20 से 25 गुणा अधिक रहता है. दिल का दौरा पड़ने का खतरा 2-3 गुना अधिक रहता है. अचानक मौत होने का खतरा 3 गुना अधिक रहता है. सामान्य व्यक्ति की तुलना में वह 30-60 प्रतिशत अधिक बीमारी रहता है.
तंबाकू उत्पादों पर टैक्स में कमी उचित नहीं है. इससे गरीब ही ज्यादा पीड़ित होंगे, क्योंकि उनके पास इलाज कराने को पैसा भी नहीं होता. सरकार तंबाकू उत्पाद से कमा कर बीमारी पर खर्च करने की बजाय बीमारी पर ही रोक लगाने का प्रयास करें तो बेहतर होगा. सरकार के अपने स्टैंड से पलट जाने पर काफी आश्चर्य महसूस कर रहा हूं.
टीपी सिन्हा,राष्ट्रीय अध्यक्ष
कैंसर अवेयरनेस सोसायटी
53.5% करते हैं तंबाकू सेवन
ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार बिहार में वर्तमान में 53.5 फीसदी वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं. इसमें 66.2 फीसदी पुरुष और 40.01 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. वर्तमान में 14.2 फीसदी वयस्क तंबाकू पीते हैं. इनमें 20.3 फीसदी पुरुष और 7.8 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. वर्तमान में 48.7 फीसदी वयस्क धुआं रहित तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 62.2 फीसदी पुरुष और 34.6 फीसदी महिलाएं शामिल हैं.
निर्णय वापस ले सरकार
राज्य सरकार के साथ मिल कर तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चला रही संस्था सीड्स ने राज्य सरकार से कैबिनेट में तंबाकू उत्पादों पर घटाये गये कर के निर्णय को वापस लिये जाने की मांग की है. सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक दीपक कुमार मिश्र ने इस संबंध में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ ही मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, वित्त विभाग के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक को पत्र लिखा है.
महंगा इलाज
बिहार में तंबाकू जनित चार तरह की बीमारियां जैसे कार्डियो वैसकुलर डिजीज (सीवीडी), कैंसर, टीबी, स्वांस की बीमारी के इलाज पर पुरुषों पर हर साल 345.8 करोड़ रुपये और महिलाएं पर 126.3 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इन बीमारियों को छोड़ कर अन्य सभी रोगों पर पुरुषों पर प्रतिवर्ष 886.5 करोड़ रुपये जबकि महिलाओं पर 454.01 करोड़ खर्च होते हैं. भारत में यह आंकड़ा पुरुषों की चार बीमारियों पर 8438.1 करोड़ जबकि महिलाओं पर 1705.01 करोड़ रुपये हैं. इन चार बीमारियों के अलावा अन्य बीमारियों पर भारत में पुरुषों पर 24707.09 करोड़ रुपये और महिलाओं पर 6768.00 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
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