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सरकार का चेक बाउंस, मनरेगा में डाक विभाग के फंसे 850 करोड़

कौशिक रंजन, पटना मनरेगा मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान कर डाक विभाग बुरा फंसा है. विभाग ने करीब 850 करोड़ रुपये मजदूरी भुगतान में खर्च कर दिये, लेकिन बिहार सरकार ने उसे यह रकम नहीं दी. इतना ही नहीं, ग्रामीण विकास विभाग से डाक विभाग को जो चेक दिये गये, वे कुछ जिलों में […]

कौशिक रंजन, पटना
मनरेगा मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान कर डाक विभाग बुरा फंसा है. विभाग ने करीब 850 करोड़ रुपये मजदूरी भुगतान में खर्च कर दिये, लेकिन बिहार सरकार ने उसे यह रकम नहीं दी.
इतना ही नहीं, ग्रामीण विकास विभाग से डाक विभाग को जो चेक दिये गये, वे कुछ जिलों में बाउंस कर गये. चेक बाउंस होने की वजह खाते में रकम का अभाव था. मामले की जानकारी मिलने के बाद महालेखाकार ने बिहार सरकार को डाक विभाग को ओवर पेमेंट की राशि का एडजस्टमेंट कराने को कहा है.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के मजदूरों का पेमेंट डाकघरों के जरिये होता है. राज्य में डाक विभाग के 36 डिवीजन हैं, जिनके अंतर्गत बीओ होते हैं, जहां से मजदूरी का भुगतान होता है. ग्रामीण विकास विभाग से रकम मिलने की प्रत्याशा में डाक विभाग मजदूरी का भुगतान करता रहा.
करीब साल भार पहले वर्ष 2012-13 की ऑडिट के दौरान इसका खुलासा हुआ. इसके बाद विभाग ने 850 करोड़ रुपये के एडजस्टमेंट के लिए सरकार को लिखा, लेकिन अब तक डाक विभाग को रकम नहीं मिली है.
डाक विभाग के सूत्रों के मुताबिक, ग्रामीण विकास विभाग की ओर से दिये गये चेक में से कुछ बाउंस कर गये. बैंकों ने यह कहते हुए उन्हें लौटा दिया कि खाते में पर्याप्त रकम नहीं है. चेक बाउंस के सबसे ज्यादा मामले पटना व पूर्णिया जिले में उजागर हुए हैं. इन दोनों जिलों में करीब 45 करोड़ रुपये का ओवर पेमेंट हुआ है. वैसे कितनी राशि के कितने चेक बाउंस हुए हैं, इसका सही-सही आकलन कराने के लिए डाक विभाग रिपोर्ट तैयार करा रहा है.
60 फीसदी पेमेंट डाकघर से
पूरे राज्य में मनरेगा योजना के तहत करीब एक करोड़ 30 लाख जॉब कार्डधारी हैं. उनमें 40 लाख कार्डधारी सक्रिय हैं. इतने श्रमिकों का बैंक या डाक घर में खाता खोल कर मजदूरी का भुगतान होता है.
राज्य सरकार की यह योजना है कि सभी मजदूरों का भुगतान बैंक में एकाउंट के जरिये हो, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है. इस वजह से 40 लाख में करीब 60 फीसदी (करीब 24 लाख) मजदूरों का पेमेंट डाकघर में मौजूद खाता के जरिये ही होता है. 2008-09 से ही मनरेगा में काम करनेवाले श्रमिकों को कैश पेमेंट करने का सिस्टम बंद कर दिया गया था.
अप्रैल से बैंक खाते में होगा भुगतान : नीतीश मिश्र
ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र ने कहा कि डाकघर के जरिये मनरेगा में भुगतान से संबंधित कई तरह की शिकायतें मिली हैं. इस वजह से सरकार ने यह निर्णय लिया है कि मनरेगा के तहत सभी मजदूरों का भुगतान बैंक में खाता खोल कर किया जाये. अप्रैल से सभी मनरेगा मजदूरों का भुगतान बैंक खाते के माध्यम से किया जायेगा. इसके लिए करीब सभी स्तरों पर तैयारी कर ली गयी है.
जहां तक चेक बाउंस और ओवर पेमेंट के सेटलमेंट का मामला है, तो विभाग इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. मुङो इस तरह की कोई सूचना नहीं है और न ही विभाग को इससे संबंधित कोई पत्र मिला है. पत्र मिलने पर तुरंत ही उचित कार्रवाई की जायेगी.
ऐसे फंसा यह मामला
मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी का भुगतान ससमय करने के केंद्र सरकार के निर्देश का पालन करते हुए डाक विभाग भुगतान करता चला गया. केंद्र की ओर से राज्य को मनरेगा मद में जो आवंटन मिलता है, उसमें से डाक विभाग को ग्रामीण विकास विभाग आवंटन देता है. विभाग की तरफ से जो चेक दिये गये, उनमें से कुछ बाउंस कर गये.

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