27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड पर 2500 करोड़ बकाया, सुलझ पायेगा पेंशन का मुद्दा?

पटना: बिहार-झारखंड का बंटवारा नवंबर, 2000 में हो गया, लेकिन दोनों राज्यों के बीच कर्मचारियों की पेंशन का मामला आज तक नहीं सुलझ पाया है. झारखंड ने बिहार को करीब 2500 करोड़ रुपये नहीं दिये हैं. जबकि, करीब दो साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रलय भी इसको लेकर झारखंड को आदेश दे चुका है. बिहार सरकार […]

पटना: बिहार-झारखंड का बंटवारा नवंबर, 2000 में हो गया, लेकिन दोनों राज्यों के बीच कर्मचारियों की पेंशन का मामला आज तक नहीं सुलझ पाया है. झारखंड ने बिहार को करीब 2500 करोड़ रुपये नहीं दिये हैं. जबकि, करीब दो साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रलय भी इसको लेकर झारखंड को आदेश दे चुका है.

बिहार सरकार ने गृह मंत्रालय को कई पत्र लिख कर मांग की है कि केंद्र से झारखंड को जो आवंटन मिलता है, उसमें 2,500 करोड़ की कटौती कर बिहार को दे दें. लेकिन, अभी तक इस पर कोई फैसला केंद्र की तरफ से नहीं हो पाया है. अब 16 जनवरी को होनेवाली उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा नजर होगी. बिहार को उम्मीद है कि केंद्रीय गृह मंत्री इस मामले को सुलझाने के लिए गंभीरता से पहल करेंगे.

बिहार और झारखंड के बंटवारे के समय बिहार पुनर्गठन अधिनियम बनाया गया था. इसमें नवंबर, 2000 तक रिटायर्ड हुए तमाम कर्मचारियों को अपने-अपने राज्यों से पेंशन लेने के लिए कहा गया. जिस राज्य से जो कर्मचारी चाहे, वह पेंशन ले सकता है. तय हुआ कि ऐसे तीन कर्मचारियों में दो की पेंशन बिहार और एक की झारखंड देगा. इस फॉर्मूले के तहत बिहार ने तो अपने हिस्से का पेमेंट कहीं ज्यादा कर दिया, लेकिन झारखंड ने ऐसा नहीं किया. झारखंड की देनदारी बढ़ते-बढ़ते दो हजार 500 करोड़ तक पहुंच गयी.

हालांकि काफी दबाव के बाद झारखंड ने तीन साल पहले करीब 500 करोड़ रुपये बिहार को दिये. वाबजूद इसके 2,500 करोड़ रुपये का बकाया अब भी है. इसमें सूद के रुपये को नहीं जोड़ा गया है. अगर इसे जोड़ दिया जाये, तो यह करीब चार हजार करोड़ पहुंच जायेगा.
सुप्रीम कोर्ट से बिहार के पक्ष में हुआ फैसला : गृह मंत्रलय ने बिहार को बकाया भुगतान करने का आदेश झारखंड को दिया, तो झारखंड ने इसके खिलाफ 2013 में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के आइए (इंटर लोकेटरी एप्लीकेशन या अपील) को खारिज कर दिया है. अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की फूल बेंच सुनवाई करेगी. अब झारखंड इस फिराक में जुट गया है कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम को संशोधित कर दिया जाये. इसकी अपील उसने कोर्ट से भी की है. हालांकि अभी तक झारखंड की इस अपील पर किसी तरह का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें