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आयुक्त मामले में सीएम करें हस्तक्षेप
बिहार आइएएस एसोसिएशन ने लिखा पत्र, प्रोसिडिंग चलाने के निर्णय को वापस लेने की मांग पटना : बिहार आइएएस एसोसिएशन ने नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के मामले में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से हस्तक्षेप करने की अपील की है. एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अनुरोध किया है कि नगर […]
बिहार आइएएस एसोसिएशन ने लिखा पत्र, प्रोसिडिंग चलाने के निर्णय को वापस लेने की मांग
पटना : बिहार आइएएस एसोसिएशन ने नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के मामले में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से हस्तक्षेप करने की अपील की है. एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अनुरोध किया है कि नगर आयुक्त पर विभागीय प्रोसिडिंग चलाने के निर्णय को वापस लिया जाये.
अधिकारियों को फंसानेवाले इस तरह के तंत्र को नियंत्रित करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की कोई अन्य घटना नहीं दोहरायी जाये और अधिकारी बिना किसी डर और पैरवी के अपने कार्य को कर सकें.
पत्र के अंत में एसोसिएशन ने फिर से यह अनुरोध किया है कि गुड गवर्नेस और पारदर्शिता को बनाये रखने के लिए इस मामले पर गंभीरता से विचार करें. कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुलदीप नारायण को निलंबित करने की कार्रवाई करना हाइकोर्ट के आदेश को झुठलाने के समान है. हाइकोर्ट उनके ट्रांसफर पर रोक लगाते हुए पहले ही कह चुका है कि इसके लिए पहले उनसे अनुमति ली जाये.
इस प्रकरण का पूरा घटनाक्रम काफी दुर्भाग्यपूर्ण रहा है. पत्र में यह भी कहा गया है कि नगर आयुक्त के खिलाफ लगे तमाम आरोपों की बिंदुवार जांच विभाग ने की है, लेकिन इसमें ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं निकला है, जिससे उन पर आरोप साबित हो.
निलंबन मामले की आज फुलबेंच में सुनवाई
पटना : पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण के मामले पर बुधवार को पटना हाइकोर्ट के पूर्ण पीठ में फिर सुनवाई होगी. बेंच में न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी, न्यायाधीश वीएन सिन्हा और न्यायाधीश नवनीति प्रसाद हैं.
पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान कई विवादों को लेकर बीच में ही कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. बुधवार को सुनवाई में फिर वहीं सवाल उठने की संभावना है कि नगर आयुक्त के निलंबन पर रोक लगाना कहां तक न्यायसंगत है? एक अन्य खंडपीठ में भी मामले की सुनवाई होगी, जिसमें निलंबन को सही करार दिया गया है. दोनों मामलों पर बुधवार को सुनवाई होगी.
राजनीति में फंसीं योजनाएं
नगर निगम में विवाद की वजह से सारे काम ठप
पटना : नगर निगम में चल रहे विवाद की वजह से जनहित की योजनाएं फाइलों में ही पड़ी हैं. निगम के अधिकारी हों या फिर वार्ड पार्षद, सब के सब राजनीति में ही व्यस्त हैं. आलम यह है कि अंचलों में चल रहेकार्यो की मॉनीटरिंग नहीं
हो रही है. अपर नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक द्वारा कार्यपालक पदाधिकारियों को आदेश-निर्देश तो दिया जा रहा है, लेकिन उसके अनुरूप काम नहीं हो रहा है.
नहीं खरीदे जा सके उपकरण
ठोस कचरा प्रबंधन के तहत कचरा उठाव के लिए उपकरण की खरीदारी करनी थी. इसका प्रस्ताव स्थायी समिति की बैठक में आया गया, तो कहा गया कि क्रय में अनियमितता के दोषी नगर आयुक्त होंगे. इससे मामला अटक गया. 20 अक्तूबर, 2014 को हुई निगम बोर्ड की बैठक में क्रय समिति की अनुशंसा को स्वीकृत किया गया. इसके बाद निगम प्रशासन ने चयनित एजेंसी से एकरारनामा करने की प्रक्रिया शुरू की. लेकिन, निगम, विभाग और कोर्ट के चक्कर में मामला अब तक अटका पड़ा है.
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन
ठोस कचरा प्रबंधन के तहत निगम क्षेत्र में घर-घर से कचरे का उठाव भी करना है. इसको लेकर 2008 में ही योजना बनी, लेकिन आज तक धरातल पर नहीं उतरी. निजी एजेंसी को यह काम सौंपा जाना था. 2012 से विभागीय स्तर पर जोर-शोर से इसकी प्रक्रिया शुरू की गयी. लेकिन, निगम स्तर से वर्ष 2013 में प्रक्रिया शुरू की गयी. अब जाकर निगम प्रशासन ने टेंडर निकाला है. एजेंसी को चयनित करने से पहले प्री बीड मीटिंग करनी है, लेकिन अब तक नहीं हो सकी है. यह भी योजना लटकी है.
गलियों में लाइट लगाना
बेड्रा द्वारा निगम के सभी वार्डो में 30-30 बल्ब लगाये जाने हैं. इसको लेकर बेड्रा ने स्थानों की सूची मांगी थी. नगर आयुक्त ने सभी वार्ड पार्षदों को अपने-अपने क्षेत्र के स्थान चयनित कर नगर मुख्य अभियंता को उपलब्ध कराने को कहा था. वार्ड पार्षद स्थानों की सूची बनाना छोड़ राजनीति में व्यस्त हैं. हालांकि, अब तक सिर्फ आठ से दस पार्षदों ने ही सूची सौंपी है.
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