पटना: पोस्टल पार्क में डॉ सुरेश प्रसाद गुप्ता के क्लिनिक पर इंजेक्शन लगाने के बाद बच्चे की हुई मौत के मामले में समझौता हो गया है. मृतक के घरवालों ने अपने लिखित बयान में डॉक्टर को निर्दोष बताया है. इसके बाद पुलिस ने आरोपित डॉक्टर को छोड़ दिया है. हालांकि डॉक्टर की योग्यता को लेकर अब भी सवाल मौजूद हैं.
उनके पास ऐसी कोई डिग्री नहीं, जिसके आधार पर वह मरीज का इलाज कर सके. क्लिनिक पर सिर्फ डॉक्टर का नाम लिखा हुआ है और क्लिनिक को टीकाकरण केंद्र बताया गया है. डॉक्टर की योग्यता के बारे में कोई जिक्र नहीं है.
पोस्टल पार्क चौराहे के समीप पिछले 40 साल से डॉक्टर सुरेश क्लिनिक चलाते हैं. उनकी पत्नी भी स्त्री रोग विशेषज्ञ का बोर्ड लगा कर महिला मरीज को देखती हैं. गौरतलब है कि रविवार को दिन में पोस्टल पार्क के बंगाली टोले में रहनेवाले श्याम कुमार के पुत्र प्रिंस (5) के पेट में दर्द हुआ था. परिजन उसे लेकर डॉ सुरेश के क्लिनिक पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने नींद का एक इंजेक्शन दिया था. घर ले जाने के बाद प्रिंस की और हालत बिगड़ गयी. वह उसे दोबारा लेकर क्लिनिक पर पहुंचे, तो उसे एक और इंजेक्शन दिया गया, जिसके कुछ देर बाद प्रिंस की मौत हो गयी.
डॉक्टर की डिग्री पर सवाल
डॉक्टर सुरेश ने अपनी डिग्री के बारे में बताया है कि गर्वनमेंट ऑफ बिहार रजिस्टर्ड से उन्हें मेडिकल प्रैक्टिसनर की मान्यता है. उन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन नंबर बी 23464, 40736 बताया है.
मेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन जरूरी : आइएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन प्रसादअगर डॉक्टर आरएमपी डिग्री की बात करते हैं और प्रैक्टिस करते हैं तो उन्हें फर्जी माना जायेगा. प्रैक्टिस के लिए मेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है.