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पटना के लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा: अरुण सिन्हा

पटना की जलापूर्ति समस्या के निदान को ले कर गंभीर नहीं हैं नगर विकास मंत्री फटकार के बावजूद हर दिन पटना में 11 करोड़ लीटर पानी बरबाद हो रहा संवाददाता, पटना सरकार की लापरवाही और अफसरशाही के कारण दूर-दराज के शहरों की बात तो छोड़ दें, पटना में भी पीने का पानी नहीं मिल रहा. […]

पटना की जलापूर्ति समस्या के निदान को ले कर गंभीर नहीं हैं नगर विकास मंत्री फटकार के बावजूद हर दिन पटना में 11 करोड़ लीटर पानी बरबाद हो रहा संवाददाता, पटना सरकार की लापरवाही और अफसरशाही के कारण दूर-दराज के शहरों की बात तो छोड़ दें, पटना में भी पीने का पानी नहीं मिल रहा. पटना नगर निगम आयुक्त और मेयर के विवाद के कारण पटना में 72 बोरिंग का काम पूरा नहीं हुआ. 40 से अधिक स्थानों पर बोरिंग पंप और जल मीनार लगाने को जगह तक नहीं मिली. कोर्ट की फटकार के बावजूद हर दिन पटना में 11 करोड़ लीटर पानी बरबाद हो रहा है. उक्त बातें शनिवार को विधान सभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक अरुण सिन्हा ने कही. उन्होंने कहा है कि फटे पाइप की मरम्मत के लिए न रांगा आया, न शीशा-पटुआ. दीघा में वाटर ट्रिटमेंट प्लांट का काम पूरा नहीं हुआ. ब्रिटिश काल के जर्जर पाइप लाइन तक नहीं बदले गये. महेंद्रू, पीडी लेन, मुसल्लहपुर हाट, बारी पथ, भिखना पहाड़ी, रमना रोड, कंकड़बाग, एमआईजी कॉलोनी, चांदमारी रोड, जक्कनपुर और पटना सिटी के के कई इलाकों में सप्लाइ वाटर के साथ कीड़ा आ रहा है. कई मुहल्लों में तो नाले का पानी की नल से गिर रहा है. नुरुम योजना के तहत 526 करोड़ की लागत से पटना के सभी मुहल्लों में पाइप लाइन का विस्तार होना था, किंतु यह योजना भी पिछले दो वर्षों से बंद है. एक तरफ सरकार गांव के लोगों को शुद्ध पानी मुहैया कराने का दावा कर रही है, वहीं राजधानी में लोग आये दिन जलापूर्ति की मांग को ले कर सड़क जाम करने को विवश हैं. उन्होंने कहा है कि नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. (नोट : खबर दोबारा पढ़ी गयी है)

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