-दलित गरिमा सम्मेलन में उठी दलितों के हितों की आवाज -फोटो-जेपी-संवाददाता, पटना समाज में जब तक गैर बराबरी रहेगी, समतामूलक समाज की कल्पना बेमानी है. दलितों की गरिमा आज के समाज में बेहद आवश्यक है. इस दिशा में बहुत काम भी हुए हैं. इस साल बिहार में राजनैतिक क्रांति हुई और समाज के हाशिये के समाज का व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में हमारे सामने है. ये बातें एएन सिन्हा संस्थान के सभागार में दलित अधिकार मंच द्वारा आयोजित दलित गरिमा सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने कहीं. उन्होंने आगे कहा कि आज भारत में दो देश बसते हैं. यह शिक्षा सहित हर क्षेत्र की बात है. असमानता 65 साल के बाद भी एक सच्चाई है. सबको समान शिक्षा मिलने पर ही समता और समानता की बात सिद्ध हो सकती है. सम्मेलन का उद्घाटन श्री विकल के साथ संस्थान के निदेशक डीएम दिवाकर, एक्शन एड के क्षेत्रीय प्रबंधक विनय ओहदार, कमजोर वर्ग के एडीजी अरविंद पांडे ने किया. वक्ताओं ने कहा कि समाज में गैरबराबरी दूर करने की दिशा में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बाद संत विनोबा भावे ने कई गंभीर प्रयास किये. इसके कारण कई भूमिहीनों को जीवन जीने की बुनियादी जरूरत जमीन मिली और वे आत्मनिर्र्भर हुए. सरकार को भूमि सुधार अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए काम करने की आवश्यकता है. मंच के प्रदेश महासचिव दीपचंद दास ने मंच द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया. मौके पर प्रदेश अध्यक्ष कपिलेश्वर राम, सुमित्रा, रिंकू, नारायण पासवान, धनंजय कुमार, सुमन कुमार, शिवधारी रविदास उपस्थित थे. धन्यवाद ज्ञापन मंच के महासचिव दीपचंद दास ने किया.
जब तक गैरबराबरी रहेगी, समतामूलक समाज की कल्पना बेमानी : डॉ विकल-सं
-दलित गरिमा सम्मेलन में उठी दलितों के हितों की आवाज -फोटो-जेपी-संवाददाता, पटना समाज में जब तक गैर बराबरी रहेगी, समतामूलक समाज की कल्पना बेमानी है. दलितों की गरिमा आज के समाज में बेहद आवश्यक है. इस दिशा में बहुत काम भी हुए हैं. इस साल बिहार में राजनैतिक क्रांति हुई और समाज के हाशिये के […]
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