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कौशेय पथ पर अधिकार पाना चाह रहा चीन

पटना: प्राचीनकाल में कौशेय पथ सिल्क रूट के नाम से जाना जाता था. यह कौशेय पथ चीन, तिब्बत, भारत, संपूर्ण मध्य एशिया व तत्कालीन रोम तक जाता था. इस भौगोलिक परिक्रमा मार्ग पर आर्थिक साम्राज्यवाद की नींव पड़ी थी, जिससे भारतीय व्यापार मार्ग भी समृद्ध हुआ था और रोम की संपूर्ण स्वर्ण राशि भारत आती […]

पटना: प्राचीनकाल में कौशेय पथ सिल्क रूट के नाम से जाना जाता था. यह कौशेय पथ चीन, तिब्बत, भारत, संपूर्ण मध्य एशिया व तत्कालीन रोम तक जाता था. इस भौगोलिक परिक्रमा मार्ग पर आर्थिक साम्राज्यवाद की नींव पड़ी थी, जिससे भारतीय व्यापार मार्ग भी समृद्ध हुआ था और रोम की संपूर्ण स्वर्ण राशि भारत आती थी. उस समय चीन का पलड़ा भारी नहीं था. लेकिन, आज चीन उस कौशेय पथ पर अधिकार पाना चाहता है.

बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय द्वारा ‘कौशेय पथ के ऐतिहासिक महत्व की निरंतरता’ पर आयोजित प्रो विजय कुमार स्मृति व्याख्यान में ये बातें वीर कुंवर सिंह विवि के इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो श्याम बिहारी राय ने कहीं. उन्होंने कहा कि भारतीय व्यापारी चीन के कौशेय वस्त्र एवं भारत के मसाले, सूती वस्त्र आदि रोम में बेचते थे और मुंहमांगे दाम लेकर समृद्धता की ओर बढ़ रहे थे. उस काल में चीन की सामग्री भारतीय अथवा मध्य एशिया के व्यापारी बेच कर समृद्ध हो रहे थे.

आज व्यापार संतुलन का स्वरूप अपनी निरंतरता में दूसरे पक्ष को समृद्ध कर रहा है. यह आर्थिक व्यापार वाणिज्य का स्वरूप चीन से प्रारंभ हो रहा है और जिसके प्रभाव में संपूर्ण भारत, मध्य एशिया तथा पश्चिम जगत भी समाहित हो रहा है.

यह नये ढंग से इतिहास की पुनरावृत्ति है, जिसे आज की भाषा में चीन ड्रैगन कहते हैं. अध्यक्षता ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो रत्नेश्वर मिश्र ने की. समारोह में प्रो पंकज, प्रो अंशुमान, प्रो विजय कुमार ठाकुर की पत्नी कल्पना ठाकुर, पुत्र अंशुमान ठाकुर, डॉ चंद्रमोहन सिंह, सहायक अभिलेक निदेशक, संजय कुमार खां, सहायक अभिलेख निदेशक उदय कुमार ठाकुर, डॉ उर्मिला कमारी, राजेंद्र चौधरी, अजय कुमार, डॉ भारती शर्मा, डॉ चिंतन चंद्रा, डॉ मदन मिश्र, रामकुमार सिंह, मो असलम मौजूद थे. निदेशालय के निदेशक डॉ विजय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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