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सभी गरीब मेरी ‘जात’, सहायता करें: मांझी

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि गरीब सबसे बड़े उपभोक्ता हैं, लेकिन उपभोक्ता संरक्षण की बात गरीबों तक आकर रुक जाती है. उन्होंने कहा कि सभी गरीब मेरी ‘जात’ हैं. मेरी जाति की मदद कीजिए. वह बुधवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने फूड इंस्पेक्टरों को खाद्य पदार्थो […]

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि गरीब सबसे बड़े उपभोक्ता हैं, लेकिन उपभोक्ता संरक्षण की बात गरीबों तक आकर रुक जाती है. उन्होंने कहा कि सभी गरीब मेरी ‘जात’ हैं. मेरी जाति की मदद कीजिए. वह बुधवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने फूड इंस्पेक्टरों को खाद्य पदार्थो का निरीक्षण पूरी मुस्तैदी से करने की हिदायत दी. कहा, प्रखंड और पंचायत स्तरीय बाजारों में खुले में तमाम खाने की चीजें मिलती हैं, जो हानिकारक हैं. इससे सबसे अधिक गरीब पीड़ित होते हैं. इसकी देखरेख करने की जिम्मेवारी जिन फूड इंस्पेक्टरों पर है, पर वे कहीं नहीं दिखते हैं. फूड इंस्पेक्टर कहां रहते हैं, इसकी जानकारी किसी को नहीं. सीएम ने कहा कि सभी फूड इंस्पेक्टर की सेवा स्वास्थ्य विभाग से हटा कर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को स्थानांतरित कर दी जायेगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े कानूनों और शिकायत करने की प्रक्रिया की जानकारी नहीं होने से सबसे ज्यादा गरीब ही इसका खामियाजा भुगतते हैं.

बीमार पड़ने पर झोलाछाप डॉक्टर इनकी खोपड़ी तक का ऑपरेशन कर पैसे ऐंठ लेते हैं. गरीबों को उपभोक्ता हितों से जुड़ी बातों की जानकारी होने पर वे जालसाजों के चक्कर से बच सकेंगे और इसके खिलाफ आवाज उठा पायेंगे. इसके प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी योजनाओं और कानून से ज्यादा सामाजिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है.

पढ़े-लिखे लोगों का आज एक ही उद्देश्य हो गया है सिर्फ नौकरी करना. ऐसे लोगों को आसपास जागरूकता फैलानी चाहिए. सभी जिलों में उपभोक्ता फोरम का संचालन सही तरीके से होना चाहिए. राज्य में 60 फीसदी लोग बीपीएल और करीब 85 फीसदी गरीब हैं. महज 15 फीसदी लोग ही अमीर हैं, जिनके लिए उपभोक्ता जागरूकता से जुड़ी बातें बहुत मायने नहीं रखती हैं.

समाज में अब भी ऐसे लोग हैं, जो दूसरों पर शासन करते हैं. सीएम ने बिना नाम लिये कहा कि राज्य के एक बड़े व्यापारी बोलते हैं कि एक बोरा सत्तू को कैप्सूल में भर कर अरबों कमा लेते हैं. ऐसे लोगों के कारनामों को उजागर करने के लिए गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. नालंदा खुला विवि के कुलपति प्रो रासबिहारी सिंह ने कहा कि अगले सत्र से छह महीने की अवधि के दो नये सर्टिफिकेट कोर्स ‘लीगल अस्सिटेंश और कंज्यूमर प्रोटेक्शन राइट’ शुरू किये जायेंगे. स्वागत भाषण विभागीय सचिव हुकुम सिंह मीणा ने दिया.

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