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साहित्यकार ही नहीं क्रांतिकारी चितंक भी थे

लाइफ रिपोर्टर@पटनारामवृक्ष बेनीपुरी एक बहुमुखी प्रतिभा वाले थे. इनकी कहानी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखी गयी थी. क्योंकि वे एक महान साहित्यकार, पत्रकार या संपादक ही नहीं बल्कि एक महान क्रांतिकारी भी थे. उनके प्रज्जवल व्यक्तित्व की तरह उनकी भाषा ही नहीं उनकी आवाजभी प्रभावशाली थी. हिंदी भाषा और एक महान साहित्यकार की जिंदगी पर यह […]

लाइफ रिपोर्टर@पटनारामवृक्ष बेनीपुरी एक बहुमुखी प्रतिभा वाले थे. इनकी कहानी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखी गयी थी. क्योंकि वे एक महान साहित्यकार, पत्रकार या संपादक ही नहीं बल्कि एक महान क्रांतिकारी भी थे. उनके प्रज्जवल व्यक्तित्व की तरह उनकी भाषा ही नहीं उनकी आवाजभी प्रभावशाली थी. हिंदी भाषा और एक महान साहित्यकार की जिंदगी पर यह बातें सुनने को मिली सहाय सदन में, जहां मंगलवार को हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा रामवृक्ष बेनीपुरी की 115वीं जयंती आयोजित की गयी थी. इस कार्यक्रम की शुरुआत सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ द्वारा हुई, जहां उन्होंने बताया कि साहित्य सम्मेलन, जिस काल में अपना स्वर्णिम इतिहास लिख रहा था. बेनीपुरी उस दिव्य काल-खंड के प्रमुख हस्ताक्षर थे. वह एक सच्चे देश भक्त थे. अपने बचपन से ही गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गये थे. वहीं सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य रंजन सूरिदेव ने बेनीपुरी की जिंदगी के बारे में बताया कि बेनीपुरी बहुमुखी साहित्यिक-प्रतिभा के धनी थे. वे सफल उपन्यासकार, नाटकार, निबंध लेखक और संस्मरणकार थे. इस अवसर पर लघु गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें डॉ नरेश पांडे चकोर, डॉ मेहता नागेंद्र सिंह, शैलेश झा उन्मन, राजकुमार प्रेमी, सुरेश चंद्र मिश्र जैसे कई कथाकारों ने अपनी कथाओं का पाठ किया.

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