संवाददाता, पटना सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं होने से आज गरीब शहरी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. उनके कल्याण के लिए बननेवाली योजनाएं सिर्फ फाइलों में ही सिमट गयी है. प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाही से योजना को जमीनी रूप नहीं दिया जा सका है. ये बातें पूर्व नगर विकास मंत्री प्रेम कुमार ने कहीं. वह शुक्रवार को गांधी मैदान स्थित आइएमए हॉल में आश्रय अभियान की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के अवसर पर शहरी गरीबों को आवास, जीविका व भोजन के अधिकार विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे. नहीं हो रहा पैसे का सही उपयोग : श्री कुमार ने बताया कि शहरी गरीबों को आवास संबंधी सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए 56 योजनाएं पर काम किया गया. इनमें डीएफआइडी के ‘ स्पर ‘ कार्यक्रम के तहत पटना समेत 28 जिलों में शौचालय, पीने के पानी, बिजली, सड़क व नाले का निर्माण कराया गया. वहीं स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के चार से पांच वर्षों में 60 करोड़ रुपये से 34 हजार लोगों को 17 ट्रेडों में ट्रेनिंग दी गयी. वहीं रोजगार के लिए सब्सिडी भी सुविधा दी गयी. इसे वर्ष 2013 में राष्ट्रपति द्वारा बिहार राज्य को पुरस्कृत किया गया. इसके बाद से योजना बंद है. वहीं, भारत सरकार द्वारा 28 करोड़ रुपये की राशि भेजी गयी है, जो अब तक बैंकों में ही पड़ी है. वहीं फुटपाथ दुकानदारों के लिए विधानसभा में पारित विधेयक के बावजूद कानून नहीं बनाया गया है. प्रशासनिक लापरवाही के कारण पैसे का सही सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. मौके पर आश्रय अभियान के निदेशक डॉरोथी फर्नाडिस व राजेश समेत अन्य उपस्थित रहें.
शहरी गरीबों के लिए नहीं हो रहा काम
संवाददाता, पटना सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं होने से आज गरीब शहरी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. उनके कल्याण के लिए बननेवाली योजनाएं सिर्फ फाइलों में ही सिमट गयी है. प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाही से योजना को जमीनी रूप नहीं दिया जा सका है. ये बातें पूर्व नगर विकास मंत्री प्रेम कुमार ने कहीं. […]
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