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बिल्डिंग माफिया से जूझ रहे नगर आयुक्त कुलदीप नारायण, सस्पेंड

पटना : पटना शहर में अवैध निर्माण के मामले में बिल्डरों में हड़कंप मचानेवाले आइएएस अधिकारी और पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण को आखिर शुक्रवार को निलंबित कर ही दिया गया है. दिन भर की जद्दोजहद के बाद देर शाम सामान्य प्रशासन विभाग ने बिना नोटिस जारी किये उनके निलंबन की अधिसूचना जारी […]

पटना : पटना शहर में अवैध निर्माण के मामले में बिल्डरों में हड़कंप मचानेवाले आइएएस अधिकारी और पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण को आखिर शुक्रवार को निलंबित कर ही दिया गया है. दिन भर की जद्दोजहद के बाद देर शाम सामान्य प्रशासन विभाग ने बिना नोटिस जारी किये उनके निलंबन की अधिसूचना जारी कर दी.

2005 बैच के आइएएस अधिकारी कुलदीप नारायण पर विभागीय कार्रवाई भी चलायी जायेगी. नगर निगम के इतिहास में पहली बार काम में लापरवाही को आधार बना कर एक आइएएस अधिकारी को निलंबित किया गया. नगर आयुक्त पर फॉगिंग मशीन की खरीद नहीं करने, कचरा प्रबंधन की दिशा में कार्रवाई नहीं करने और शहर में अतिक्रमण व अवैध निर्माण रोकने में अक्षमता के आरोप लगाये गये हैं.
निलंबन की अवधि में सरकार ने कुलदीप नारायण का मुख्यालय पटना नगर निगम कार्यालय में ही रखा है. सरकार ने नगर विकास विभाग को कुलदीप नारायण की जगह विभाग को किसी वरीय अधिकारी को नगर आयुक्त बनाने का प्रभार देने को कहा है. इधर, कुलदीप नारायण को निलंबित किये जाने से आक्रोशित आइएएस एसोसिएशन ने आपात बैठक बुलायी.
हवाई अड्डे के निकट एसोसिएशन के कार्यालय में हुई आपात बैठक में करीब दो दर्जन आइएएस अधिकारी पहुंचे. एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में बंद कमरे में हुई बैठक में सरकार के निर्णय की तीखी भर्त्सना की गयी. करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक के बाद सात सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास गया. प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा, उपाध्यक्ष अमिता पाल, विजय प्रकाश, एनके सिन्हा, हरजोत कौर और अनूप मुखर्जी शामिल थे.
उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि कुलदीप नारायण पर कोई गंभीर आरोप नहीं थे. उन पर कोई आपराधिक और भ्रष्टाचार का आरोप नहीं था. उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से निलंबन के पहले कारण बताओ नोटिस भी जारी नहीं किया गया. बिना उनका पक्ष जाने सरकार ने निलंबित कर दिया है. यह कानूनी तौर पर गलत है. मुख्यमंत्री ने आइएएस अधिकारियों की बातों को सुनने के बाद कहा कि वह जनता के प्रति जिम्मेवार हैं. उनका कहना था कि आखिर गलती तो हुई है, चाहे जिस किसी से हो. करीब आधे घंटे तक चली बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की बातों पर विचार करने का आश्वासन दिया.
एसोसिएशन की बैठक में आयुक्त कुलदीप नारायण को भी बुलाया गया. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उनकी पूरी बातें सुनीं. इस आधार पर एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें निलंबन के फैसले की निंदा की गयी. सीएम से इस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया गया. एसोसिएशन ने यह भी कहा कि इस आदेश में दुर्गा शक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन नहीं किया गया. निलंबन आदेश बिल्डर एसोसिएशन के दबाव पर लिया गया है. एसोसिएशन की मांग पर देर रात कुलदीप नारायण के आवास पर सुरक्षा बढ़ा दी गयी. एसोसिएशन की बैठक में यह बात आयी कि विभागीय मंत्री के आप्त सचिव की ओर से जारी स्पष्टीकरण के आधार पर कुलदीप नारायण के निलंबन का फैसला लिया गया.
* नगर विकास विभाग ने की थी निलंबन की अनुशंसा
नगर विकास विभाग ने पांच दिसंबर को नगर आयुक्त कुलदीप नारायण को निलंबित करने की अनुशंसा सरकार से की थी. करीब एक सप्ताह बाद शुक्रवार को सरकार ने विभाग के प्रस्ताव पर सहमति दे दी. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक कुलदीप नारायण पर पटना नगर निगम के लिए वित्तीय वर्ष 2012-13 और 2013-14 में आवंटित राशि नहीं खर्च करने सहित निगम क्षेत्र में सफाई और विकास के कार्य नहीं करने से संबंधित कई गंभीर आरोप हैं.
बताया गया है कि लगे आरोपों की समीक्षा के बाद निलंबन का निर्णय किया गया है. अधिसूचना में कहा गया है कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार अखिल भारतीय सेवाएं नियमावली के विभिन्न धाराओं और उपधाराओं के तहत कुलदीप नारायण को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है. इनके निलंबन की अवधि में इन्हें सिर्फ जीवन भत्ता निर्वाह देने का निर्णय लिया गया है. अधिसूचना में कहा गया है कि नगर विकास विभाग इसकी जानकारी पटना हाइकोर्ट को देकर निगमायुक्त के पदस्थापन की अनुमति लेने के बाद दूसरे पदाधिकारी की नियुक्ति की कार्रवाई करेंगे.
* हाइकोर्ट ने जताया आश्चर्य, कहा- पेश करो निलंबन की अधिसूचना
पटना हाइकोर्ट ने नगर आयुक्त के निलंबन पर आश्चर्य जताया. कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता राय शिवाजी नाथ को निर्देश दिया कि वह 15 दिसंबर को कोर्ट में निलंबन की अधिसूचना पेश करें. शुक्रवार को न्यायामूर्ति वीएन सिन्हा व न्यायमूर्ति पीके झा के दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष वार्ड पार्षद आभा लता की जनहित याचिका की सुनवाई चल रही थी, तभी नगर निगम के वकील ने कोर्ट को बताया कि निगमायुक्त को सरकार ने निलंबित कर दिया है.
दोनों न्यायाधीशों ने कहा कि हाइकोर्ट ने तो सरकार को निर्देश दिया था कि बिना हाइकोर्ट की अनुमति के कुलदीप नारायण को नहीं हटाया जाये. ऐसे में बिना कोर्ट की जानकारी के उन्हें निलंबित कैसे किया जा सकता है? आभा लता ने जनहित याचिका में कहा है कि नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी के फैसलों को निगमायुक्त कार्यान्वित नहीं करते. इस पर कोर्ट ने पूछा कि स्टैंडिंग कमेटी के वे कौन-कौन से फैसले हैं, जिन्हें निगमायुक्त ने लागू नहीं किया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.
* कोर्ट में कुलदीप नारायण के साथ खड़ा होगा आइएएस एसोसिएशन
नगर आयुक्त के निलंबन से नाराज आइएएस एसोसिएशन ने कहा है कि वह पटना हाइकोर्ट में इस मामले में सुनवाई के दौरान वह कुलदीप नारायण के पक्ष में खड़ा होगा. माना जा रहा है कि सोमवार को हाइकोर्ट में कुलदीप नारायण की ओर से याचिका दायर की जायेगी. इसमें आइएएस एसोसिएशन इंटरवेन करेगा. जैसे ही सरकार के फैसले की जानकारी एसोसिएशन को मिली, अधिकारी एसोसिएशन कार्यालय जुटने लगे. सबसे पहले आये अध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा.
बंद कमरे में चली बैठक में एसोसिएशन ने माना कि वह किसी के पक्ष में खड़ा नहीं है. लेकिन, जिस तरीके से कुलदीप नारायण को निलंबित किया गया है, वह कानूनी तौर पर सही नहीं है. एसोसिएशन ने सरकार से कुलदीप नारायण को पर्याप्त सुरक्षा देने की मांग की. कहा गया कि कुलदीप नारायण ने एक बड़े बिल्डर की बातों को नहीं माना है.
हाइकोर्ट में भी इसकी सूचना दी गयी है. एसोसिएशन की बैठक में कहा गया कि निलंबित करने का तरीका अपमानित करने जैसा है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए. एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मुख्य सचिव से मिलेगा. कल भी एसोसिएशन की बैठक होगी.
बैठक में अध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा व उपाध्यक्ष अमिता पाल के अलावा विजय प्रकाश, एनके सिन्हा, त्रिपुरारि शरण, हरजोत कौर, पूर्व मुख्य सचिव अनूप मुखर्जी, दीपक कुमार सिंह, आर लक्ष्मणन, सतीश सिंह ठाकुर, राहुल सिंह, अजय वी नायक, बी प्रधान, दीपक कुमार, अश्विनी दत्तात्रेय, विनय कुमार व सेवानिवृत अधिकारी राम उपदेश सिंह शामिल हुए.
* छह आरोपों के आधार पर हुई कार्रवाई
– मच्छरों की संख्या बढ़ी, उस हिसाब से फॉगिंग मशीन की खरीद नहीं की गयी.
– कचरा प्रबंधन के लिए कोई काम नहीं किया गया.
– कचरा प्रबंधन के लिए आवंटित राशि का खर्च नहीं करना.
– पटना शहरी क्षेत्र से अतिक्रमण और अवैध निर्माण को रोकने में विफलता.
– वित्तीय वर्ष 2012-13 और 2013-14 में आवंटित राशि खर्च नहीं की गयी.
– निगम क्षेत्र में सफाई और विकास के कार्य नहीं हुए.

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