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कागजों में ही रह गये योजना के पौधे

पटना: पर्यावरण एवं वन विभाग ने पर्यावरण के प्रति स्कूली छात्रों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से 2002 में स्कूलों में पौधारोपण की योजना बनायी. इसके लिए नेशनल ग्रीन कोर (एनजीसी)टीम का गठन व हर जिले के 250 विद्यालयों में पौधारोपण करना था. योजना के 12 वर्ष बीत गये, लेकिन विद्यालयों में पौधारोपण नहीं हो […]

पटना: पर्यावरण एवं वन विभाग ने पर्यावरण के प्रति स्कूली छात्रों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से 2002 में स्कूलों में पौधारोपण की योजना बनायी. इसके लिए नेशनल ग्रीन कोर (एनजीसी)टीम का गठन व हर जिले के 250 विद्यालयों में पौधारोपण करना था. योजना के 12 वर्ष बीत गये, लेकिन विद्यालयों में पौधारोपण नहीं हो सका.

योजना के तहत प्रति वर्ष विद्यालय को ढ़ाई हजार रुपये व मॉनीटरिंग के लिए डीइओ को 25 हजार रुपये देने का प्रावधान है. विद्यालयों को न तो इस संबंध में कोई जानकारी है और न ही इसके तहत कोई कमेटी ही बनी. नेशनल ग्रीन कोर टीम के लिए हर विद्यालय के चार शिक्षक,एक प्रभारी व 25 बच्चे इसके सदस्य बनाये जाने थे. टीम को परती जमीन पर पौधा लगाना था. प्रदूषण बोर्ड नियंत्रण इसके लिए नोडल एजेंसी के रूप में चयनित है. योजना संचालन के लिए शिक्षा विभाग ने राज्य व जिला स्तरीय टीम गठित की है. राज्यस्तरीय टीम में शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के सचिव को अध्यक्ष व जिला स्तरीय टीम में डीएम को अध्यक्ष बनाया गया है.12 वर्ष में मात्र दो बार मीटिंग बुलायी गयी है. कई जिलों में तो डीइओ कार्यालय में राशि का उठाव भी नहीं हो सका है.

योजना की जानकारी नहीं

योजना के मास्टर ट्रेनर रहे व वर्तमान में जिला शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि स्कूलों में एनजीसी टीम की बात तो दूर की है. इस संबंध में लोगों को कोई जानकारी नहीं है. योजना के प्रति शुरू से ही लापरवाही बरती जा रही है. बीएन कॉलेजिएट स्कूल,पटना की प्राचार्या गायत्री सिंह का कहना है कि इस संबंध में कोई विशेष जानकारी नहीं है. 2008-09 में योजना के तहत राशि आयी थी. उसके बाद से बंद है.

नहीं भेजी जा रही रिपोर्ट

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अधिकारी अजरुन कुमार ने बताया कि एनजीसी योजना के तहत शिक्षकों को ट्रेनिंग का जिम्मा दिया गया था, लेकिन न तो शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए चयनित किया जाता है और न ही इसके प्रति कोई पहल होती है. विभिन्न जिलों की रिपोर्ट हर वर्ष केंद्र सरकार को भेजी जाती है,लेकिन शिक्षा विभाग की अनदेखी से योजना की रिपोर्ट नहीं भेजी गयी है.

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