पटना: मैडम कब आयेंगी. बहुत दूर से आये हैं. ससुरालवालों ने सिर फोड़ दिया है. किसी तरह जान बचा कर यहां पहुंची हूं. पिछले तीन घंटे से मैडम का इंतजार कर रहे हैं. भूखे प्यासे बैठे हैं. बिना मिले नहीं जायेंगे. यह हाल है महिला थाने का, जहां पीड़िता घंटों थाना प्रभारी का इंतजार करती हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है.
थाना प्रभारी के चैंबर में सुबह से शाम तक ताला लटका रहता है. आवेदकों के अनुसार महिला थाना बस नाम का रह गया है. यहां आने के साथ ही बताया जाता है कि मैडम नहीं आयी हैं. चैंबर में ताला लगा है. इसके बाद आवेदकों का इंतजार शुरू हो जाता है. मैडम के आने और ताला खुलने का. इसके बाद भी समस्या यहीं खत्म नहीं होती है. आवेदन देने और न्याय का इंतजार करती महिलाएं थक हार लौट जाती हैं.
मैडम आयेंगी, तभी दर्ज होगा केस
कंक ड़बाग से आयी नेहा (परिवर्तित नाम) की हालत बहुत ही खराब थी. उसकी सास व देवरानी ने पीट कर घायल कर दिया था. सुबह 10 बजे ही महिला थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंची थी. पुलिसकर्मियों ने कहा, मैडम आयेंगी, तभी केस दर्ज होगा.
हेल्प डेस्क से मिलती है मदद
महिला विकास निगम द्वारा गठित हेल्प डेस्क से घरेलू विवाद के मामलों का काउंसेलिंग के जरिये निबटारा कर रहा है. 10 माह में 600 से अधिक मामले पति-पत्नी के आपसी विवाद के दर्ज किये गये हैं. इन मामलों का काउंसेलिंग कर निबटारा किया जा रहा है.
थाना प्रभारी के साथ-साथ कई अन्य जिम्मेवारी भी है. कोर्ट जाना, सभा, सेमिनार व ट्रेनिंग जैसे कई जरूरी काम हैं. थाने में आनेवाली महिलाओं को न्याय मिले, इसके लिए अन्य अधिकारी भी हैं. सभी को इसकी जिम्मेवारी समझनी चाहिए. मैनपावर की भी कमी है. इससे थोड़ी बहुत परेशानी बनी हुई है. मृदुला कुमारी, थानाध्यक्ष