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दो साल पहले ही हो गये रिटायर

40 पंचायतों के नगर निकायों में शामिल हो जाने से बेरोजगार हो गये सभी जनप्रतिनिधि शशिभूषण कुंवर पटना : राज्य की 40 पंचायतों के सात-सात जनप्रतिनिधियों का चुनाव पांच वर्षो के लिए किया गया. लेकिन, ये सभी जनप्रतिनिधि अपना कार्यकाल पूरा करने के तीन वर्ष पहले ही जनता की सेवा से वंचित कर दिये गये […]

40 पंचायतों के नगर निकायों में शामिल हो जाने से बेरोजगार हो गये सभी जनप्रतिनिधि
शशिभूषण कुंवर
पटना : राज्य की 40 पंचायतों के सात-सात जनप्रतिनिधियों का चुनाव पांच वर्षो के लिए किया गया. लेकिन, ये सभी जनप्रतिनिधि अपना कार्यकाल पूरा करने के तीन वर्ष पहले ही जनता की सेवा से वंचित कर दिये गये हैं. अब ऐसे जनप्रतिनिधियों को न मानदेय मिल रहा है और न ही भत्ता दिया जा रहा है. सरकार उनकी भूमिका स्वत: समाप्त मान रही है.
जबकि, मुखिया और सरपंच अपने को निर्वाचित मानते हुए अपने हक की बात मांग रहे हैं. दरअसल, वर्ष 2011 में राज्य में पंचायत चुनाव हुआ था. इस चुनाव में चुने गये जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल जून, 2016 में पूरा होगा. इस बीच, सरकार ने 40 पंचायतों को नगर निकायों में समाहित कर दिया. इसके बाद इन प्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं रही.
जिस पंचायतों को डिबार कर दिया गया है, उनका कार्यकाल स्वत: समाप्त हो जाता है. रही बात मानदेय व भत्ते के भुगतान की, तो यह तो उन्हीं पदों के लिए दिया जाता है, जिस पर निर्वाचित प्रतिनिधि रहते हैं. जब राज्य की कुछ पंचायतों को नगर निकाय में बदल दिया गया है, तो एक क्षेत्र में दो शासन नहीं चल सकता है. किसी भी पद के लिए मानदेय, भत्ता व सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाता है.
विनोद प्रसाद यादव, पंचायती राज मंत्री
ऐसे सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को उनके पूर्ण कार्यकाल तक मानदेय व भत्ता दिया जाये.
कामेश्वर प्रसाद गुप्ता, प्रवक्ता
मुखिया महासंघ
अमोद निराला, प्रदेश अध्यक्ष
पंच-सरपंच संघ

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