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गरीबों को शीतलहर से बचाने के लिए 78 लाख रुपये आवंटित
पटना : असहाय और गरीबों को शीतलहर से बचाने के लिए राज्य सरकार ने 78 लाख रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है. इसमें 28 लाख रुपये आपदा प्रबंधन और 50 लाख रुपये समाज कल्याण विभाग की ओर से खर्च किये जायेंगे. शीतलहर से निबटने के लिए सरकार की तैयारी के अनुसार आपदा प्रबंधन विभाग […]
पटना : असहाय और गरीबों को शीतलहर से बचाने के लिए राज्य सरकार ने 78 लाख रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है. इसमें 28 लाख रुपये आपदा प्रबंधन और 50 लाख रुपये समाज कल्याण विभाग की ओर से खर्च किये जायेंगे.
शीतलहर से निबटने के लिए सरकार की तैयारी के अनुसार आपदा प्रबंधन विभाग 28 लाख रुपये के खर्च से रैन बसेरा से टमटम पड़ाव तक अलाव जलायेगा, ताकि ठंड से ठिठुर रहे लोगों को राहत मिल सके. इसके लिए राज्य के सभी जिलों को आपदा प्रबंधन विभाग ने राशि आवंटित कर दी है. वहीं समाज कल्याण विभाग शीत से निबटने के लिए सूती धोती, साड़ी और कंबल की खरीद कर गरीबों और नि:सहाय लोगों के बीच उनको वितरित करेगा. इसके लिए विभाग ने सभी जिलों को वहां रह रहे गरीबों की संख्या के अनुपात में राशि आवंटित की है.
समाज कल्याण और आपदा प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के निर्धन, अपंग, भिक्षुकों, भूमिहीनों और असहाय व्यक्तियों के बीच सूती धोती, साड़ी, चादर के अलावा कंबलों का मुफ्त वितरण किया जायेगा. राज्य के सभी डीएम को जारी निर्देश में सामाजिक सुरक्षा के निदेशक मनीष कुमार वर्मा ने कहा है कि गरीबी रेखा के अधीन जनसंख्या के अनुपात में सभी जिलों के लिए राशि का वितरण किया गया है. दिसंबर से जनवरी के बीच भीषण शीतलहर की आशंका बनी रहती है. इसकी चपेट में गरीब परिवार के लोग ही आते हैं.
शीतलहर या पाला ऐसे होगा तय
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा कि जिस क्षेत्र में सामान्य न्यूनतम तापमान 10 डिग्री या उससे अधिक रहता हो और उस क्षेत्र का न्यूनतम तापमान सात डिग्री से नीचे हो जाये, तो उसे शीतलहर माना जायेगा. इसी तरह जिस क्षेत्र का सामान्य तापमान 10 डिग्री से कम हो और उस क्षेत्र का न्यूनतम तापमान पांच डिग्री से कम हो जाये, तो उसे भी शीतलहर माना जायेगा.
पाला के बारे में उन्होंने कहा है कि यदि न्यूनतम तापमान शून्य से कम हो जाये या रबी फसलों के लिए असामान्य स्थिति उत्पन्न हो जाये, तो वैसी स्थिति को पाला माना जायेगा. इसका निर्धारण भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा किया जाता है.
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