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कंकड़बाग के लोहिया पार्क में बिना शुल्क प्रवेश की इजाजत नहीं, टहलने के लिए भी चाहिए पैसा

पटना: कंकड़बाग कॉलोनी के लोहिया पार्क में घूमने की इच्छा रखते हैं, तो पॉकेट में कम-से-कम पांच रुपये जरूर रख लें. बगैर इसके आपको प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी. अगर आप परिवार के साथ घूमने जायेंगे, तो प्रति व्यक्ति 20 से 25 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. जी हां, कंकड़बाग के मॉडल कहे […]

पटना: कंकड़बाग कॉलोनी के लोहिया पार्क में घूमने की इच्छा रखते हैं, तो पॉकेट में कम-से-कम पांच रुपये जरूर रख लें. बगैर इसके आपको प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी. अगर आप परिवार के साथ घूमने जायेंगे, तो प्रति व्यक्ति 20 से 25 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. जी हां, कंकड़बाग के मॉडल कहे जानेवाले लोहिया पार्क की यही स्थिति है.

आम लोगों के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बनाये गये पार्क में उनको ही प्रवेश की अनुमति नहीं है. लोग चाह कर भी शाम में पार्क का आनंद नहीं ले सकते.

पूछने पर व्यवस्थापक मेंटेनेंस को लेकर राशि वसूले जाने की बात कहते हैं. लेकिन, मेंटेनेंस के लिए कितनी राशि की आवश्यकता होती है, इसका खुलासा नहीं करते. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हर दिन खासी भीड़ रहती है. महीने भर के मेंटेनेंस के लिए आवश्यक राशि हफ्ते भर में ही निकल आती है. इसके बावजूद पार्क से प्रति व्यक्ति पांच रुपये लेकर बड़ी आमदनी की जाती है.

अंदर चकाचक, बाहर कचरा

लोहिया पार्क के अंदर भले ही हरियाली दिखती हो, मगर पार्क की चाहरदीवारी से सटे तीन तरफ काफी गंदगी लगी है. कूड़ा-कचरा से लेकर मल-मूत्र तक फैला है. सामने की सड़क को छोड़ कर लोग चाह कर भी तीनों तरफ पैदल नहीं घूम पाते. इस संबंध में नगर निगम के अधिकारियों से बात करने पर भी संतोषजनक जानकारी नहीं मिल पायी.

आप भी हमें बताएं

प्रभात खबर शहर के पार्को की स्थिति पर लगातार अभियान चला रहा है. अगर आप भी अपने आसपास के पार्को की स्थिति से संतुष्ट नहीं हैं या उस पर किसी ने कब्जा कर रखा है, तो हमें बताएं. हमारी टीम आपकी समस्या को सरकार व प्रशासन तक पहुंचाने का पूरा-पूरा प्रयास करेगी. इसकी जानकारी 07739169057 पर एसएमएस कर दी जा सकती है.

सिर्फ नाम का कोकोनट पार्क

लोहिया पार्क से ही सटे कंकड़बाग हाउसिंग कॉलोनी में कोकोनट पार्क है. मगर अब इसको पार्क कहना बिल्कुल भी सही नहीं होगा. स्थानीय लोगों के मुताबिक दूसरे पार्को के साथ इसका भी निर्माण कराया गया था, लेकिन समय के साथ इसकी स्थिति बेहद खराब हो गयी है. पार्क के नाम पर इसकी बाउंड्री तो है, लेकिन अंदर बच्चों के खेलने-कूदने लायक कोई झूला नहीं लगा. स्थानीय युवक अमन कुमार ने बताया कि दूसरे पार्को की तरह इसमें भी झूले सहित खेलकूद के कई उपकरण लगे थे. पेड़-पौधे भी लगाये गये, लेकिन देखरेख के अभाव में गायब हो गये. मैदान में जहां-तहां झाड़ियां उग आयी हैं. बैठने की जगह पर जानवरों व पशु-पक्षियों के मल-मूत्र और गंदगी गिरा पड़ा है. बीच में लगी लाइट खराब है. हालांकि पौधे नहीं लगे होने की वजह से बच्चे इसमें वॉलीबॉल व फुटबॉल जैसे खेल भी खेल लेते हैं.

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