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लड़कियों को क्यों नहीं मिला नैपकीन

सवाल-15मोदी ने नीतीश से पूछा संवाददाता,पटना मुख्यमंत्री रहते नीतीश कुमार ने सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाली लड़कियों को सैनेटरी नैपकीन देने की घोषणा की थी. लोकसभा चुनाव के पहले की गयी यह घोषणा नौ माह बाद भी कार्यान्वित क्यों नहीं हो पायी? योजना पर अब तक अमल क्यों नहीं हुआ. क्या यह सरकार की लफ्फाजी नहीं […]

सवाल-15मोदी ने नीतीश से पूछा संवाददाता,पटना मुख्यमंत्री रहते नीतीश कुमार ने सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाली लड़कियों को सैनेटरी नैपकीन देने की घोषणा की थी. लोकसभा चुनाव के पहले की गयी यह घोषणा नौ माह बाद भी कार्यान्वित क्यों नहीं हो पायी? योजना पर अब तक अमल क्यों नहीं हुआ. क्या यह सरकार की लफ्फाजी नहीं है? यह सवाल गुरुवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने नीतीश कुमार से पूछा है. उन्होंने कहा है कि योजना के तहत सातवीं से 12वीं तक की छात्राओं को महीने में चार सैनेटरी नैपकीन देना था. मकसद उच्च कक्षाओं की लड़कियों को बेहतर स्वास्थ्य व स्वच्छता उपलब्ध करा कर उनका ड्रॉप आउट रोकना था. एक अप्रैल, 2014 से 31 मार्च, 2015 तक 33 लाख 14 हजार 695 छात्राओं को नि:शुल्क इसका लाभ मिलना था. सरकार की सुस्ती के कारण योजना शुरू नहीं हो सकी. उन्होंने पूछा है कि क्या यह सच नहीं है कि 14 फरवरी, 2014 को पूर्व सीएम नीतीश कुमार की घोषणा महीनों फाइलों में घूमती रही? 20 फरवरी को विधानसभा में पेश बजट में इसे शामिल किया गया. बजट में इसके लिए 32.76 करोड़ का प्रावधान भी किया गया. पहली अप्रैल से ही इसे लागू किया जाना था. लगता है राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में सरकार योजना को भूल गयी. लोकसभा चुनाव के बाद योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जीतन राम मांझी के सीएम के तौर पर शपथ लेने के बाद एक बार फिर तीन जून, 2014 को योजना की फाइल कैबिनेट की स्वीकृति के लिए पेश की गयी, लेकिन कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बावजूद योजना लागू नहीं हो सकी. क्या इसके पीछे नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी की लड़ाई वजह नहीं है? क्या बिहार की छात्राओं के साथ यह धोखाधड़ी नहीं है?

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