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350 करोड़ की उगाही

पटना: निजी मेडिकल व डेंटल क ॉलेज हर साल एमबीबीएस व बीडीएस की पढ़ाई के नाम पर करीब 350 करोड़ रुपये की उगाही करते हैं. फीस इतनी अधिक होती है कि सामान्य घरों के विद्यार्थियों के लिए इनमें पढ़ना नामुमकिन है. हाल ही में कटिहार मेडिकल कॉलेज के प्रबंध निदेशक अशफाक करीम की गिरफ्तारी और […]

पटना: निजी मेडिकल व डेंटल क ॉलेज हर साल एमबीबीएस व बीडीएस की पढ़ाई के नाम पर करीब 350 करोड़ रुपये की उगाही करते हैं. फीस इतनी अधिक होती है कि सामान्य घरों के विद्यार्थियों के लिए इनमें पढ़ना नामुमकिन है. हाल ही में कटिहार मेडिकल कॉलेज के प्रबंध निदेशक अशफाक करीम की गिरफ्तारी और उनके ठिकानों से बरामद कागजात ने इस तथ्य की पुष्टि की है. करीम के 25 बैंक खातों से अब तक 3.06 करोड़ रुपये जब्त किये गये हैं.

25 लाख में मेडिकल, तो 15 लाख में डेंटल डॉक्टर : राज्य में निजी क्षेत्र में चार मेडिकल कॉलेज और पांच डेंटल कॉलेज हैं. मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 360 सीटें हैं. कॉलेज प्रबंधन के दावे पर ही भरोसा करें, तो उनमें से 306 सीटों पर (करीब 85 फीसदी)एडमिशन प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर होता है. कॉलेज प्रबंधन प्रति विद्यार्थी 25 लाख रुपये बतौर फीस (पूरी पढ़ाई के दौरान) वसूलता है. साढ़े छह लाख रुपये एक सत्र की फीस है. इस तरह 76.5 करोड़ रुपये तो सीधे कॉलेजों के पास पहुंच जाते हैं. इसके अतिरिक्त बाकी 54 सीटों पर मैनेजमेंट कोटे से एडमिशन होता है, जिसमें फीस की रकम मनमानी है, क्योंकि इसके लिए कोई प्रवेश परीक्षा नहीं होती है. कटिहार मेडिकल कॉलेज में पीजी कोर्स की भी पढ़ाई होती है, जिसमें

एडमिशन के लिए 50 लाख रुपये से 75 लाख रुपये तक बतौर फीस वसूली की जाती है. उधर, निजी डेंटल कॉलेजों में नामांकन के लिए प्रति सीट 15 लाख रुपये बतौर फीस (पूरी पढ़ाई के दौरान) ली जाती है. निजी डेंटल कॉलेजों में कुल सीटें 300 हैं. ये कॉलेज विद्यार्थियों से करीब 45 करोड़ रुपये वसूल लेते हैं. इस तरह मेडिकल व डेंटल कॉलेजों के संचालक कुल मिला कर एक साल में करीब 350 करोड़ रुपये की कमाई करते हैं.

दूसरे राज्यों से आते हैं विद्यार्थी
बिहार के निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस की दर दक्षिण व पश्चिम के राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, गुजरात आदि से काफी कम है. यही कारण है कि दूसरे प्रदेशों से बड़ी संख्या में छात्र-छात्रएं बिहार आते हैं. हालांकि, दक्षिण के राज्यों से कम सुविधा व संसाधन होने के कारण इनमें भी वैसे ही छात्र बिहार की ओर रुख करते हैं, जिनका किसी कारणों से दक्षिण के राज्यों में सीधा नामांकन नहीं हो पाता है. ये कॉलेज दूसरे राज्यों में विज्ञापन जारी करते हैं. उनमें पढ़नेवाले विद्यार्थी भी पंजाब, उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा जैसे राज्यों के होते हैं.

परीक्षा की भी अलग-अलग व्यवस्था
क टिहार व किशनगंज मेडिकल कॉलेजों की परीक्षा अलग, तो नारायण मेडिकल कॉलेज, सासाराम की परीक्षा अलग आयोजित की जाती है. लार्ड बुद्धा मेडिकल कॉलेज, सहरसा की प्रवेश परीक्षा नारायण मेडिकल कॉलेज के साथ संयुक्त रूप से होती है, लेकिन इस वर्ष लार्ड बुद्धा को एडमिशन की अनुमति नहीं मिलने से अलग परीक्षा आयोजित होगी. इन कॉलेजों में सरकारी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा के तहत किसी कोटे से एडमिशन देने का प्रावधान नहीं है.

मेडिकल कॉलेज —————————— सीटें
1. कटिहार मेडिकल कॉलेज, कटिहार —————- 100
2. माता गुजरी मेडिकल कॉलेज, किशनगंज ———- 60
3. नारायण मेडिकल कॉलेज, सासाराम—- 100
4. लार्ड बुद्धा मेडिकल कॉलेज, सहरसा ————- 100

डेंटल कॉलेज
1. बुद्धा इंस्टीच्यूट ऑफ डेंटल सायंसेज, पटना —— 100
2. डॉ बीआर अंबेडकर डेंटल कॉलेज, पटना ——— 40
3. सरयुग मेडिकल कॉलेज, दरभंगा ————- 40
4. मिथिला माइनॉरिटी डेंटल कॉलेज, दरभंगा ——- 60
5. डॉ एसएम नकवी इमाम डेंटल कॉलेज, बहेड़ा —- 60

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