त्र पुष्प वाटिका की लीला में शामिल हुए शंकराचार्यसंवाददाता, बक्सरसीताराम विवाह आश्रम की रामलीला का दो भागों में बांटना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसे एक हो जाना चाहिए. किसी आश्रम की व्यवस्था कोई संत ही देख सकता है, कोई गृहस्थ आश्रम का नहीं. रामलीला के बंटवारे से एक पारिवारिक परंपरे की झलक मिल जाती है, जो नहीं होना चाहिए. आश्रम की रामलीला पुन: एक जगह करने से आध्यात्मिक जगत का कल्याण होगा और यही संतों की भावना भी है. पुष्प वाटिका के दौरान आये शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने ये बातें बक्सर के लोगों से कहीं. साथ ही उनलोगों से भी कहा जो रामलीला को भागलपुर ले गये हैं अथवा वर्तमान रामलीला में अपनी भागीदारी न निभा कर तटस्थ की भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजाराम जी को परम पूज्य संत श्रीमन् नारायण भक्त माली उर्फ मामा जी ने पूरी बागडोर अपने जीवन काल में ही दे दी थी और इसका कोई विरोध नहीं होना चाहिए. आश्रम की देखभाल की जिम्मेवारी कोई संत ही निभा सकता है. यह मामा जी का भी सोच था.
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सीताराम विवाह आश्रम की रामलीला को दो भागों में बांटना दुर्भाग्यपूर्ण : शंकराचार्य
त्र पुष्प वाटिका की लीला में शामिल हुए शंकराचार्यसंवाददाता, बक्सरसीताराम विवाह आश्रम की रामलीला का दो भागों में बांटना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसे एक हो जाना चाहिए. किसी आश्रम की व्यवस्था कोई संत ही देख सकता है, कोई गृहस्थ आश्रम का नहीं. रामलीला के बंटवारे से एक पारिवारिक परंपरे की झलक मिल जाती है, जो नहीं […]
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