संवाददाता,पटनासरपंचों का कार्यकाल डेढ़ साल शेष है,लेकिन 8402 ग्राम कचहरियों के सरपंचों को अब तक प्रशिक्षण नहीं मिला है. कहने को तो उन्हें 29 मामलों में सुनवाई का अधिकार है, लेकिन जो भी विवाद होता है उसे बिना प्रशिक्षण और तकनीकी कर्मचारी के सहयोग से ही निबटाया जा रहा है. अब तो बिहार राज्य पंच-सरपंच संघ कचहरियों के संबंध में सरकार से न्याय मांग रहा है. पंचायती राज विभाग ने 2013 में पंचायत के प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था शुरू की थी. इसके तहत सूबे के सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधि जिसमें ग्राम कचहरी के सदस्य भी शामिल थे. बिहार प्रदेश पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष अमोद कुमार निराला ने बताया कि फरवरी 2014 में सरपंचों के सम्मान के लिए न्याय पगड़ी देने का निर्णय लिया गया था. सांकेतिक रूप से महज पांच सरपंचों को न्याय पगड़ी दी भी गयी. घोषणा हुई थी कि लोकसभा चुनाव के बाद सरपंचों को न्याय पगड़ी सौंप दी जायेगी. अभी तक कार्य अधूरा है. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण व न्याय मित्र के अभाव में कचहरी को निर्णय लेने में परेशानी हो रही है. विवादों का निबटारा आपसी सहमति से हो रहा है. सबसे बड़ी बात है कि सरपंच को अपने क्षेत्र में धारा 107 और 144 की अनुशंसा करने की शक्ति है. इसके अलावा कई धाराओं में निर्णय की शक्ति है, लेकिन प्रशिक्षण के अभाव में निर्णय नहीं लिया जा रहा है.
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सरपंचों को नहीं मिला प्रशिक्षण,सं
संवाददाता,पटनासरपंचों का कार्यकाल डेढ़ साल शेष है,लेकिन 8402 ग्राम कचहरियों के सरपंचों को अब तक प्रशिक्षण नहीं मिला है. कहने को तो उन्हें 29 मामलों में सुनवाई का अधिकार है, लेकिन जो भी विवाद होता है उसे बिना प्रशिक्षण और तकनीकी कर्मचारी के सहयोग से ही निबटाया जा रहा है. अब तो बिहार राज्य पंच-सरपंच […]
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