दानापुर: अनुमंडलीय अस्पताल को आदर्श अस्पताल बनाया गया है. अस्पताल में सामान्य इलाज से लेकर प्रसव व सिजेरियन तक की व्यवस्था है. लेकिन, महिला चिकित्सकों की संख्या पर्याप्त होने के बाद भी मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है. नर्स व दाई के भरोसे प्रसव कराया जाता है. सिजेरियन के मामले में पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. केवल कागजात पर इस अस्पताल को आदर्श अस्पताल घोषित कर दिया गया है. यहां डॉक्टर तो हैं, पर उपकरण नहीं.
40 बेडों से चलाया जाता है काम
60 बेडोंवाले इस अस्पताल में मात्र 40 बेडों से ही काम चलाया जाता है. रोगियों के बेड पर चादर नहीं रहती. इमरजेंसी में चिकित्सक गंभीर रूप से जख्मी व रोगियों का ही इलाज करते हैं. सर्दी- खांसी व बुखार लगने पर काउंटर पर ड्यूटी में तैनात कर्मी पुरजा नहीं काटते. यहां ओपीडी में प्रत्येक दिन करीब पांच सौ से अधिक मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं.
अल्ट्रासाउंड डेढ़ साल से बंद
अस्पताल मेंअल्ट्रासाउंड पिछले करीब डेढ़ साल से बंद है. इस कारण रोगियों को अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर जाना पड़ता है. वहीं, अस्पताल में ब्लड बैंक के लाइसेंस का नवीकरण नहीं होने के कारण पिछले एक वर्ष से ब्लड बैंक में रक्त नहीं है. एक्स-रे मशीन में पांच वर्षो से जंग लग रही है. ऑउटसोर्सिग द्वारा अस्पताल में एक्स- रे कराया जा रहा है़ एक्स-रे के साथ ही ऑउटसोर्सिग पर रक्त व मूत्र जांच नि:शुल्क करायी जाती है.
रात में इमरजेंसी डय़ूटी में महिला चिकित्सक कभी-कभार ही आती हैं और जो आती हैं वह चिकित्सक रूम में आराम करती नजर आती हैं. अस्पताल में गला, नाक-कान, शिशु रोग, हड्डी रोग, प्लास्टिक सजर्री, सजर्न, फिजिशियन व स्त्री रोग विशेषज्ञ तैनात तो हैं, पर उपकरण नहीं हैं. इससे चिकित्सकों को इलाज करने में भारी परेशानी उठानी पड़ती है. अस्पताल में विकास के नाम पर पिछले वर्ष करीब 20 लाख की राशि आयी थी. इस वर्ष करीब 40 लाख की राशि का आवंटन किया गया है.