संवाददाता, पटना भारतीय कविता समारोह के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कई बातें बड़ी सफाई से स्वीकार की. उन्होंने साफ-साफ कहा कि वे न तो कवि हैं, न विद्वान. मैं मानता हूं कि मुझे समारोह के उद्घाटन के लिए एक परंपरा के तहत बुलाया गया है. समारोह में मैं क्या कहूं, क्या न कहूं, समझ में नहीं आ रहा है. बचपन में सुनता था ‘जहां न जाये रवि-वहां जाये कवि..’. कवि-साहित्यकार तो समाज के दर्पण होते हैं. हम जैसे कम बुद्धि वालों को कवि-साहित्यकार समझाये. भारतीय कविता समारोह में कवियों का दर्शन कर हम तर गये.
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हम न कवि हैं, न विद्वान : मांझी
संवाददाता, पटना भारतीय कविता समारोह के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कई बातें बड़ी सफाई से स्वीकार की. उन्होंने साफ-साफ कहा कि वे न तो कवि हैं, न विद्वान. मैं मानता हूं कि मुझे समारोह के उद्घाटन के लिए एक परंपरा के तहत बुलाया गया है. समारोह में मैं क्या कहूं, क्या […]
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