पटना: बिहार में छह साल तक के बच्चों की स्थिति ठीक नहीं है. वे जन्म से ही कुपोषण के शिकार होते हैं. गर्भावस्था के दौरान मां को संपूर्ण आहार नहीं मिलना इसकी मुख्य वजह है. बुधवार को बीआइए सभागार में बच्चों के विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गयी. मौका था निदान बिहार फोर्सेस द्वारा ‘पूर्व बालपन देखरेख एवं विकास’ विषय पर आयोजित कार्यशाला का. जहां निजी व सरकारी संगठनों से आये विशेषज्ञों ने शून्य से छह साल तक के बच्चों के विकास से जुड़ी बातों का जिक्र किया.
योजनाओं से स्थिति में सुधार
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा कि गर्भवती व होनेवाले शिशु की देख-रेख के लिए जननी सुरक्षा आदि योजनाएं चल रही हैं. इससे ग्रामीण गर्भवती महिलाओं की स्थिति में सुधर आया है. प्लान इंडिया के राज्य प्रबंधक तुषार कांति दास ने बताया कि बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए सरकारी योजनाओं के साथ व्यावहारिक परिवर्तन लाने की जरूरत है.
निदान बिहार फोर्सेस की फाउंडर व कनवेनर संगीता सिंह ने बताया कि फोर्सेस अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड डेवलपमेंट पर कार्य कर रहा है. बिहार में मुख्यत: पांच कमियां हैं. इनमें पोषण, अर्ली केयर एजुकेशन, मातृत्व अधिकार, पालनाघर, स्वास्थ्य एवं टीकाकरण तथा जन्म निबंधन शामिल हैं. मौके पर बचपन बचाओ आंदोलन के मुख्ताहरुल हक, प्रेमजी अजीज फाउंडेशन के क्षेत्रीय अधिकारी पल्लव कुमार, सेव द चिल्ड्रेन के राजे खान आदि मौजूद थे.