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छठ ही नहीं, साल भर मां गंगा को रखें साफ व सुंदर

अमित कुमार पटना : गंगा हमारी मां है. मां हर हाल में अपने बच्चों का ध्यान रखती है और उनकी रक्षा करना हमलोगों का भी कर्तव्य है. छठ पूजा पर हम गंगा मइया की पूजा करते हैं और घाटों को साफ-सुथरा रखते हैं. लेकिन अफसोस कि वहां से आते-आते हम फिर यह भूल जाते हैं […]

अमित कुमार
पटना : गंगा हमारी मां है. मां हर हाल में अपने बच्चों का ध्यान रखती है और उनकी रक्षा करना हमलोगों का भी कर्तव्य है. छठ पूजा पर हम गंगा मइया की पूजा करते हैं और घाटों को साफ-सुथरा रखते हैं. लेकिन अफसोस कि वहां से आते-आते हम फिर यह भूल जाते हैं कि गंगा घाटों पर हमें गंदगी नहीं फैलानी है. हम सैकड़ों टन कचरा सिर्फ राजधानी में गंगा के विभिन्न घाटों पर छोड़ आते हैं.
इसलिए इस छठ पूजा में हम सब यह संकल्प लें कि गंगा में गंदगी नहीं फैलायेंगे और मां गंगा को हमेशा साफ, सुंदर व स्वच्छ रखेंगे. दरअसल हमलोग छठ पूजा को लेकर घाटों को चकाचक कर देते हैं, लेकिन इस बात का तनिक एहसास नहीं रहता है कि हम उन्हीं घाटों पर कितनी गंदगी छोड़ देते हैं. हमारा यह फर्ज बनता है कि जो पूजन सामग्री हम गंगा घाटों पर ले जाते हैं, उन्हें उसी तरह वापस ले आयें. पूजन सामग्रियों को ऐसी जगह डिस्पोजल करें कि कि वह फिर से गंगा में न जायें. फिर घाटों की सफाई केवल छठ पूजा में ही नहीं, बल्कि सालों भर करें.
प्रकृति से जुड़ा त्योहार है छठपूजा
एक अनुमान के अनुसार छठ पूजा के बाद गंगा घाटों पर एक परिवार औसतन दो से पांच किलो तक कचरा छोड़ देते हैं. पूरा शहर छठ पूजा पर गंगा घाटों पर उतर जाता है. लेकिन वहां पहुंचने वाले लोगों को इस बात का अंदेशा नहीं रहता है कि हम कितना कचरा गंगा में छोड़ कर जा रहे हैं. हमें चाहिए कि हम घाटों पर कुछ भी ना छोड़ें.
वहीं सरकार को चाहिए कि वह घाटों पर बॉयोकंपोजिंग यूनिट लगाये, जिससे कचरे को उर्वरक में बदला जाये. साथ ही घाटों पर जगह-जगह डस्टबिन की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे पूजन सामग्री या कचरे गंगा या नदियों में न जायें. छठ पूजा पूरी तरह प्रकृति से जुड़ा त्योहार है और हमें भी चाहिए कि इस मौके पर हम भी इको फ्रेंडली हों.
एके घोष, विभागाध्यक्ष, पर्यावरण व जल प्रबंधन विभाग, एएन कॉलेज
तभी हमलोग रह पायेंगे स्वस्थ
गंगा दिन-प्रतिदिन प्रदूषित होती जा रही है. पटना शहर से कुल दो सौ मिलियन लीटर गंदा पानी फैक्टरी और आम लोगों द्वारा हर साल गंगा में प्रवाहित हो रहा है. पानी में कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया की मात्र बढ़ते जा रही है. कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया की मात्र अगर पांच सौ से अधिक हो जाये, तो पानी नहाने योग्य भी नहीं रहता है और गंगा में यह स्तर दो हजार से 15 हजार तक पहुंच चुका है. फिर भी हर साल लाखों लोग इसमें डुबकी लगाते हैं, क्योंकि यह हमारी आस्था से जुड़ा है. ऐसे में गंगा जितनी स्वच्छ रहेगी, उसके आसपास रहनेवाले लोग उतने ही स्वस्थ रहेंगे.
एसएन जायसवाल, वैज्ञानिक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
गंदगी न फेंके
हम सबका यह दायित्व है कि हम गंगा को साफ रखें. आस्था के नाम पर गंदगी या कूड़ा ना फेंके. गंगा का धार्मिक महत्व भी है, इस लिहाज से भी हमें इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि गंगा में गंदगी न फेंकी जाये. मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि गंगा या उसके घाटों पर प्लास्टिक का किसी भी प्रकार का कूड़ा ना फेंके और गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने में हमारी मदद करें.
डॉ सुभाष चंद्र सिंह, अध्यक्ष, राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद

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