हकमारी : केंद्र से नहीं मिला पैसा
अजय कुमार/कौशलेंद्र रमण
बिहार : बिहार में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार कानून (मनरेगा) के तहत काम बंद हो गया है. केंद्र से पैसा नहीं मिलने की वजह से यह नौबत पैदा हुई है. चालू वित्तीय वर्ष के सात महीनों के दौरान मनरेगा के लिए केंद्र से 769.81 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि योजना को चालू रखने के लिए तत्काल 1335.54 करोड़ की जरूरत है.
इस योजना के तहत पैसा नहीं मिलने के चलते मजदूरों को काम मिलना बंद हो गया है और जिन मजदूरों ने पहले काम किया था, उन्हें पैसा नहीं मिल रहा है.
जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार अगले ढाई महीने यानी दिसंबर तक इस योजना के तहत मजदूरी के लिए 532. 95 करोड़ देने का प्रस्ताव पहले ही भेज चुकी है. इसके अतिरिक्त राज्य का केंद्र पर 636.45 करोड़ रुपये इस मद में बाकी है. वित्त वर्ष 2013-14 में भी राज्य सरकार ने 452 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया था, जो आज तक केंद्र सरकार से नहीं मिले हैं.
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव एसएम राजू ने केंद्र सरकार को मनरेगा में पैसे की कमी से की ओर ध्यान दिलाते हुए अगस्त में ही पत्र लिखा था. पत्र में राज्य ने 1082.40 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने करीब 256.40 करोड़ रुपये ही जारी किये, जबकि बकाया ही 624.16 करोड़ रुपये है. पत्र में कहा गया था कि पैसे की कमी की वजह से मनरेगा की गति धीमी हो गयी है.
सामाजिक कार्यकर्ता कामायनी स्वामी व आशीष रंजन कहते हैं कि केंद्र सरकार मनरेगा को ही समाप्त करना चाहती है. पैसों का भुगतान नहीं होना उसी प्रक्रिया का हिस्सा है. कॉरपोरेट घराने इस योजना के पीछे पड़े हुए थे. यूपीए सरकार के वक्त ही इसमें पैसों की कमी शुरू हो गयी थी. अब एनडीए की सरकार इसे बंद ही करने का इरादा रखती है.