पटना: राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट में स्वीकार किया कि काम के बदले अनाज योजना में 282 करोड़ की गड़बड़ी हुई है और कहा कि इस मामले में 800 पंचायत सेवकों, 600 बीडीओ और 42 डीडीसी पर कार्रवाई होगी.
गुरुवार को न्यायाधीश मिहिर कुमार के कोर्ट में 103 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई शुरू हुई. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना और काम के बदले अनाज योजना के लिए पीडीएस दुकानदारों को अनाज उपलब्ध कराया गया था. अब यह योजना बंद हो गयी है और सरकार दिये गये अनाज या उसके एवज में 13 रुपये प्रति किलो की दर से पैसा मांग रही है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह व ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एसएम राजू ने कहा कि इस मामले में 800 पंचायत सेवकों, 600 बीडीओ और 42 डीडीसी पर कार्रवाई होगी. मुख्य सचिव ने कहा कि हम इन सब पर कार्रवाई करने जा रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं इस मामले की जांच की जिम्मेवारी सीबीआइ को सौंप दी जाये. इस मामले की सुनवाई फिर 24 सितंबर को होगी. उस दिन सरकार को शपथपत्र दायर कर बताना है कि सरकारी पैसे की हानि में सिर्फ पीडीएस दुकानदारों का दोष है या फिर अधिकारी भी उतने ही दोषी हैं.
अभी दंड के रूप में दुकानदारों से 13 रुपये प्रति किलो की दर से सड़े हुए अनाज की वसूली की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं न्यायिक आयोग का गठन किया जाये और उसे जांच को कहा जाये. कोर्ट ने शपथपत्र में यह भी बताने को कहा कि किस अधिकारी के चलते इतने बड़े पैमाने पर अनाज की बरबादी हुई. इस योजना के बंद होने के बाद अनाज की वसूली किसकी गलती से नहीं हो पायी. इसमें दुकानदारों की कितनी गलती थी और अधिकारी कितने दोषी हैं, सबके बारे में विस्तार से जानकारी देने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि यदि दोनों ओर से गलती हुई है, तो दंड भी दोनों को भुगतना होगा.
क्या था मामला
सरकार ने काम के बदले अनाज और संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत लाभुकों को अनाज उपलब्ध कराने के लिए पीडीएस दुकानों को अनाज की आपूर्ति की थी. कुछ ही दिन बाद योजना बंद हो गयी और दुकानों पर ही अनाज रखा रह गया. अब सरकार दुकानदारों से अनाज मांग रही है या उसकी कीमत 13 रुपये प्रति किलो की दर से मांग रही है. कुछ दुकानदारों ने सड़ा अनाज वापस कर दिया. कुछ पीडीएस दुकानदारों ने याचिका दायर कर कहा कि हम ही इसके लिए दोषी नहीं हैं.