पटना: उग्र भीड़ को काबू में करने के लिए अब पुलिस सीधे फायरिंग नहीं करेगी. इसकी जगह काली मिर्च की गोलियां व रबर बुलेट का इस्तेमाल होगा. बिहार पुलिस ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रलय को प्रस्ताव भेज दिया है. पिछले दो महीने में बिहार पुलिस ने राज्य के अलग-अलग स्थानों पर अनियंत्रित भीड़ को काबू में करने के प्रयास में कई स्थानों पर फायरिंग की, जिसमें चार लोगों की जान चली गयी. इस मसले को विपक्ष ने भी मुद्दा बनाया.
मॉनसून सत्र में कई दिनों तक दोनों सदनों में जम कर हंगामा भी हुआ. पीपर बॉल से शरीर में एक जलन होती है, जो असहनीय होती है. साथ ही खांसी का भी सामना करना पड़ता है. इन गोलियों को भीड़ से करीब 150 मीटर से लेकर 200 मीटर की दूरी से दागा जा सकता है. जुलाई में उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रोहतास के अकबरपुर व औरंगाबाद के मदनपुर में फायरिंग की गयी थी.
150 सेट पीपर गन खरीद का प्रस्ताव
डीजीपी पीके ठाकुर ने बताया कि हम लोगों ने काली मिर्च से बने बॉल को चलाने वाली बंदूक (पीपर गन) व रबर बुलेट गन की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रलय को प्रस्ताव भी भेज दिया गया है. पहले चरण में 150 सेट पीपर गन खरीद का प्रस्ताव है. ये गन बिहार पुलिस के एंटी राइट रैपिड एक्शन फोर्स को उपलब्ध कराये जायेंगे. बिहार देश का पहला राज्य है जहां केंद्रीय सुरक्षा बल के तर्ज पर सांप्रदायिक दंगों को नियंत्रित करने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स का गठन किया गया है.