पटना: राज्य सरकार ने दीघा स्थित विवादित भूखंड को सुलझाने के लिए जो नियमावली बनायी है, उसे वहां बसे लोग व किसान मानने को तैयार नहीं हैं. 1974 में राज्य सरकार व आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ भूखंड के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन यह आज तक पूरी नहीं हुई. फिर राज्य सरकार किस भूखंड को अपना कह रही है? अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी किये बिना ही आवास बोर्ड ने लॉटरी के माध्यम से भूखंडों का आवंटन कर दिया.
भूखंड का एग्रीमेंट व रजिस्ट्री कर किस्त की राशि भी ले ली. अब राशि लौटने की बात कही जा रही है. आवंटियों का कहना है कि पैसा का ब्याज लेना होता, तो किसी बैंक में फिक्स कर देते. हमने तो जमीन के लिए पैसे दिये थे.
किसानों को नहीं मिली मुआवजे की राशि : आवास बोर्ड ने भूखंडों को आवंटित तो कर दिया, लेकिन उन किसानों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया, जिनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था. यही कारण है कि किसानों ने जमीन बेचनी शुरू कर दी. करीब सात सौ एकड़ जमीन किसानों ने बेच दी. जमीन खरीदार मकान बना कर रहने लगे. अब राज्य सरकार दीघा अजिर्त भूमि बंदोबस्ती व स्कीम नियमावली बना कर किसानों की जमीन पर कब्जा कर रही है. अगर ऐसा नहीं है, तो राज्य सरकार किसानों को वर्तमान सर्किल रेट की दर क्यों दे रही है.