पटना : राजधानी के अलग-अलग मुहल्लों में रहने वाले 15,000 से अधिक लोग पिछले तीन माह से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. जलजमाव के बाद राजधानी के तीन पंप हाउसों का पानी काफी दूषित हो गया था. इसका खुलासा पीएचइडी के पानी जांच केंद्र की आयी दूसरी रिपोर्ट से हुआ था. इसके बाद जलापूर्ति शाखा ने ट्रीटमेंट की प्रक्रिया शुरू की, जिस पर नगर वित्त लेखा नियंत्रक ने ऑब्जेक्शन लगाया. इसकी वजह से फाइल अब तक लटकी हुई है.
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15 हजार लोग गंदा पानी पीने को मजबूर
पटना : राजधानी के अलग-अलग मुहल्लों में रहने वाले 15,000 से अधिक लोग पिछले तीन माह से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. जलजमाव के बाद राजधानी के तीन पंप हाउसों का पानी काफी दूषित हो गया था. इसका खुलासा पीएचइडी के पानी जांच केंद्र की आयी दूसरी रिपोर्ट से हुआ था. इसके बाद जलापूर्ति […]
चौधरी टोला, टेकारी रोड व डिफेंस कॉलोनी स्थित पंप हाउस शामिल
जलजमाव के बाद निगम प्रशासन ने 112 पंप हाउसों के पानी सैंपल के रूप में लिये, जिनका टेस्ट कराया गया. इसमें 23 पंपों के पानी मानक के अनुरूप नहीं मिले. इसके बाद निगम अधिकारियों में खलबली मच गयी. फिर, दोबारा पानी का सैंपल लिया गया, जिसे पीएचइडी के पानी जांच केंद्र में टेस्ट कराया गया.
इसमें तीन पंप के पानी दूषित मिले, जिनमें चौधरी टोला, टेकारी रोड और कंकड़बाग के डिफेंस कॉलोनी स्थित पंप हाउस शामिल हैं. आनन-फानन में इनके ट्रीटमेंट की योजना बनायी गयी. लेकिन, निगम अधिकारियों की लचर व्यवस्था में ट्रीटमेंट का काम नहीं हो सका है.
10 दिनों में ठीक करना था पंप
दूषित पंपों का ट्रीटमेंट दिसंबर में ही पूरा कर लेना था. लेकिन, अधिकारियों की अनदेखी से अब तक ट्रीटमेंट का काम रुका हुआ है. हालांकि, निगम प्रशासन ने 10 दिनों में तीनों पंप दुरुस्त करने की बात कही थी. लेकिन, स्थिति यह है कि तीनों पंप हाउस से दूषित पानी घर-घर पहुंच रहा है.
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