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पटना : एनपीआर में नये प्रावधानों से भ्रम, पुराना फॉर्म ही सही : नीतीश कुमार
सीएए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करें पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीएए, एनआरसी और एनअारपी पर खुल कर अपनी बात रखी. मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास पर जदयू के पदाधिकारियों और मास्टर ट्रेनरों की बैठक के बाद संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि सीएए अब कानून बन चुका है. फिलहाल यह मामला सुप्रीम […]
सीएए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करें
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीएए, एनआरसी और एनअारपी पर खुल कर अपनी बात रखी. मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास पर जदयू के पदाधिकारियों और मास्टर ट्रेनरों की बैठक के बाद संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि सीएए अब कानून बन चुका है. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
इसकी सुनवाई होनी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के बारे में उन्होंने कहा कि पहले ही कह चुका हूं कि बिहार में यह लागू नहीं होगा. नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में चार-पांच नये प्रावधानों को जोड़े जाने पर उन्होंने आपत्ति जतायी. कहा कि इसे 2011 के पुराने रूप में ही लागू करना चाहिए. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की. मुख्यमंत्री ने कहा कि एनपीआर नयी बात नहीं है.
यह 2011 में लागू हुआ और 2015 में इसका रिव्यू हुआ. इसमें नये प्रावधानों को जोड़ने से आम लोगों में भय और भ्रम का माहौल पैदा होगा. चार-पांच नये प्रावधान जोड़े जाने पर आपत्ति है. इसमें माता-पिता की जन्मतिथि, जन्मस्थान आदि नहीं पूछा जाना चाहिए. इन चीजों का पहले लोग ध्यान नहीं रखते थे. साथ ही गरीब लोगों को भी इस बारे में जानकारी नहीं है. आधार का नंबर भी नहीं पूछना चाहिए.
30 जनवरी के बाद जा सकते हैं दिल्ली : दिल्ली चुनाव प्रचार में शामिल होने के बारे में नीतीश कुमार ने कहा कि 30 जनवरी के बाद यदि दिल्ली जदयू के प्रभारी संजय झा कहेंगे तो वहां प्रचार के लिए जाऊंगा. फिलहाल 30 जनवरी तक अन्य कार्यों में व्यस्त हूं.
बिहार में लागू नहीं होगा एनआरसी
एनपीआर में ये नयी जानकारियां मांगने पर आपत्ति : माता-पिता की जन्मतिथि, माता-पिता का जन्मस्थान, आधार नंबर
आपत्ति का कारण : सीएम ने कहा, नये प्रावधान जोड़ने से आम लोगों में भय और भ्रम का माहौल पैदा होगा.
जाति आधारित हो जनगणना : जाति आधारित जनगणना की मांग करते हुए सीएम ने कहा, यह 1931 के बाद नहीं हुई है. फरवरी, 2019 में बिहार विधानसभा व विधान परिषद में इससे संबंधित संकल्प पास हुआ. इसे केंद्र के संबंधित विभाग के पास भेजा गया है. इससे समाज में हाशिये पर रह रहे लोगों के बारे में जानकारी मिलेगी.
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