न ऑफिस, न फोन, सुरक्षा के लिए पुलिस तक नहीं
नकली दवा के कारोबारियों के गोदामों में रेड करनेवाले अफसर सुरक्षा को लेकर चिंतित
छापेमारी के दौरान जीएम रोड में हुई हत्या से घबरा गयी थी छापेमारी टीम
पटना : ऑफिस नहीं, फोन व फैक्स नहीं, रेड मारने जाओ, तो पुलिस का सपोर्ट नहीं. ऐसे में करों के नकली व एक्सपायर दवाओं के कारोबारियों को पकड़ने का जिम्मा ऐसे औषधि विभाग के ड्रग इंस्पेक्टरों के कंधों पर हैं, जो अपनी सुरक्षा को लेकर ही परेशान रहते हैं.
जानकारी के मुताबिक जीएम रोड में श्री हनुमान दवा एजेंसी पर जिन ड्रग इंस्पेक्टरों ने छापेमारी की है, उनकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं. एक ओर वह छापेमारी में पकड़े गये दस्तावेजों को कोर्ट में पेश करने की तैयारी में जुटे हैं, तो दूसरी ओर ड्रग कंट्रोलर को इस बात का भी डर सता रहा है कि इस छापेमारी का असर कहीं उनके ऊपर ही उलटा नहीं पड़ जाये. बावजूद इसके काम को तेज कर बहुत जल्द सभी दस्तावेजों को कोर्ट में उपलब्ध कराया जायेगा.
सूबे में 41 हजार निबंधित हैं दवा दुकानें व एजेंसियां : बिहार में निबंधित दवा दुकानों व एजेंसियों की संख्या 41 हजार है और गैर निबंधित दुकानों की संख्या 20 हजार से ऊपर है. ऐसे में औषधि विभाग में महज 126 ड्रग इंस्पेक्टर काम कर रहे हैं, जो चाह कर भी निबंधित दुकानों व एजेंसियों की जांच नहीं कर पाते हैं.
इस कारण से बिहार में नकली दवाओं का कारोबार तेजी से बढ़ ता जा रहा है और मरीज नकली व एक्सपायर दवा खाकर मौत की गोद में सो रहे हैं. 126 ड्रग इंस्पेक्टरों पर करीब 61 हजार दवा दुकानों की जांच का बोझ है. बावजूद इसके औषधि विभाग कुछ बड़े कारोबारियों को पकडने की कोशिश करता है, तो छापेमारी करनेवाले अधिकारी ही डर जाते हैं, क्योंकि सुरक्षा के लिए कोई सामने नहीं आता है.