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200 से शुरू किया कारोबार, अब 80000 तक कमाई

अनिकेत त्रिवेदी, पटना : हाजीपुर की रहने वाली मीना कुशवाहा ने वर्ष 2016 में दीनदयाल राष्ट्रीय शहरी आजीविका के तहत मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद 10 से अधिक महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाकर काम की शुरुआत की. पहले 200 रुपये से एक किलो मशरूम का बीज और भूसा खरीद कर मशरूम […]

अनिकेत त्रिवेदी, पटना : हाजीपुर की रहने वाली मीना कुशवाहा ने वर्ष 2016 में दीनदयाल राष्ट्रीय शहरी आजीविका के तहत मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद 10 से अधिक महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाकर काम की शुरुआत की. पहले 200 रुपये से एक किलो मशरूम का बीज और भूसा खरीद कर मशरूम का उत्पादन शुरू किया.

अब दो वर्ष बीतने के बाद साल के अंत तक 70 से 80 हजार रुपये की कमाई करती हैं. समूह की महिलाओं की प्रतिमाह आय छह हजार के लगभग हो गयी है. साल में दो प्रकार मशरूम अौर बटर मशरूम से कमाई कर रही हैं. यह कहानी सिर्फ एक महिला स्वयं सहायता समूह की नहीं है.
बीते तीन वर्षों में नगर विकास व आवास विभाग की ओर से संचालित दीनदयाल राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत प्रशिक्षण पाकर 6555 व्यक्तियों को एकल लोन और 864 स्वयं सहायता समूह लोन देकर छोटे व्यापार में लगाया गया है. फिलहाल इस योजना के तहत वैशाली, बिहारशरीफ व फुलवारीशरीफ में सत्तू, खगौल में अगरबत्ती, हाजीपुर में मशरूम और सीतामढ़ी में लहठी का कारोबार महिला स्वयं सहायता समूहों की आेर किया जा रहा है.
प्रेम विवाह के बाद अकेली पड़ी, अब छह हजार की आमदनी
शिवहर नगर पंचायत में प्रेमा देवी ने जब प्रेम विवाह किया, तो परिवार वालों ने साथ छोड़ दिया. 2016 में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन से पोषित गणेश संवर्धन स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं. इसके बाद योजना के तहत एक लाख रुपये का लोन लिया. अब मुहल्ला-मुहल्ला जाकर कपड़ा बेचती हैं. उन्होंने अब तक 46 हजार रुपये लोन चुकता भी कर दिया है.
अब उनकी आमदनी प्रतिमाह छह हजार रुपये से अधिक है. उसी प्रकार मुजफ्फरपुर नगर निगम क्षेत्र में रहने वाली जमीला खातून बैंक से लोन लेकर मच्छरदानी बनाने का काम करती हैं. प्रतिदिन 10 से 12 मच्छरदानियों को बेचती हैं. मात्र 10 हजार के कर्ज पर नौ हजार रुपये प्रति माह की आमदनी हो रही है. इसी प्रकार बैंक से लोन लेकर पहले खगड़िया की मुन्नी देवी किराना दुकान चला रही हैं. अब उनको आठ हजार रुपये से अधिक आमदनी है.
ऐसे मिलता है फायदा
इस योजना में पहले शहरी गरीब 10 से 15 महिलाओं के समूह का गठन होता है. इसके बाद ग्रुप को प्रशिक्षण के लिए पहले 10 हजार व फिर 50 हजार रुपये तक रिवॉल्विंग फंड दिया जाता है. इसके बाद व्यापार के लिए व्यक्तिगत तौर पर दो लाख व ग्रुप के लिए 10 लाख रुपये तक लोन दिया जाता है. लोन पर तीन प्रतिशत तक ब्याज अनुदान भी दिया जाता है.

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