पटना: पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने कहा कि पुलिस मनोवृत्ति एवं व्यवहार सामाजिक स्वरूप पर निर्भर करता है. सामाजिक स्तर पर नागरिकों के अधिकार की सुरक्षा में पुलिस तमाम बाधा, सुविधा एवं अव्यवस्था के बीच अपने कर्तव्यों के निर्वहन में तत्पर रहती है.
अपराध नियंत्रण के लिए बल प्रयोग भी किया जाता है. बल प्रयोग की आलोचना नागरिक,समाज शास्त्री एवं नीति निर्धारक करते रहे हैं, लेकिन इसके पीछे प्रतिपक्ष का प्रतिकूल व्यवहार एवं आचरण ही कारण होता है. पुलिस के प्रति आम नागरिकों के मन में छवि को सुधारने की आवश्यकता है. डीजीपी डॉ. जाकिर हुसैन संस्थान एवं आइआइबीएम के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. वह कम्युनिटी पुलिसिंग एवं मनोवृत्ति परिवर्तन विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे.
पुस्तक का विमोचन
डॉ जाकिर हुसैन संस्थान एवं कॉमनवेल्थ ह्यूमनराइट्स इनिसियेटिव नयी दिल्ली एवं नेशनल आरटीआइ इंस्टीच्यूट के संयुक्त तत्वावधान में प्रकाशित पुस्तिका ‘101 बातें जो आप पुलिस के बारे में जानना चाहते हैं, लेकिन पूछने से घबराते हैं’ का लोकार्पण डीजीपी ने किया. डीजीपी ने समस्याओं के समाधान के लिए पुलिस प्रशासन के जनजागरण कार्यक्रमों की सराहना की. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में स्कूली बच्चे,महिला,वृद्धजन एवं युवा वर्ग में संबंध सुधारने के लिए पुलिस-नागरिक मिलन कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है,जो बेहतर प्रयास है. इसके जरिये नशा नियंत्रण, महिला प्रताड़ना, घरेलू हिंसा व अनैतिक असामाजिक कृत्यों को रोका जा सकता है. आइजी डॉ परेश सक्सेना ने पुलिस पर लगाये जा रहे आरोपों को नकारते हुए इसे एक तरफा बताया. मीडिया व मानवाधिकार संरक्षकों से संयम व विवेक के साथ घटनाओं के विश्लेषण की सलाह दी. मौके पर संस्थान द्वारा एमबीए, पुलिस प्रशासन पाठ्यक्रम, दूरस्थ शिक्षा माध्यम से शुरू करने की घोषणा की गयी. सेमिनार में एसपी ट्रैफिक राजीव मिश्र, एसपी सीआइडी चंद्रशेखर आजाद चौरसिया, डीएसपी ममता कल्याणी, संजय शुक्ला, प्रो. उत्तम कुमार सिंह व प्रो. आलोक कुमार उपस्थित थे.