पटना : बिहार में करीब 50 ऐसे मरीज हैं जिनको लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है. मरीज दिल्ली जा रहे हैं, लेकिन वहां 30 से 40 लाख खर्च सुन उनके परिजन डर जाते हैं और मजबूरन मरीजों को वापस लेकर चले आते हैं. इधर लिवर ट्रांसप्लांट के लिए शहर के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में ट्रांसप्लांट यूनिट को बने करीब एक साल हो गये. लेकिन, अभी तक यह सुविधा शुरू नहीं हो पायी है.
Advertisement
एक साल में नहीं हुआ एक भी लिवर ट्रांसप्लांट
पटना : बिहार में करीब 50 ऐसे मरीज हैं जिनको लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है. मरीज दिल्ली जा रहे हैं, लेकिन वहां 30 से 40 लाख खर्च सुन उनके परिजन डर जाते हैं और मजबूरन मरीजों को वापस लेकर चले आते हैं. इधर लिवर ट्रांसप्लांट के लिए शहर के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में ट्रांसप्लांट […]
डॉक्टरों की मानें, तो इतने दिनों में एक भी ब्रेन डेड बॉडी से लिवर डोनेट कराने के लिए कोई परिजन तैयार नहीं हुआ. नतीजा ट्रांसप्लांट शुरू नहीं हो पा रहा और मरीज व डॉक्टर लिवर डोनेट कराने वाले का इंतजार कर रहे हैं.
28 अगस्त को यूनिट का हुआ था उद्घाटन
आइजीआइएमएस में 28 अगस्त को लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट का उद्घाटन किया गया था. जिस दिन उद्घाटन हुआ, उसी दिन सात मरीजों का निबंधन ट्रांसप्लांट के लिए हुआ था.
तब से मरीज लिवर मिलने के इंतजार में हैं. उनकी उम्र 30 से 60 वर्ष के बीच है. बीच में एक मरीज तैयार हुआ था, लेकिन बाद में उसने इन्कार कर दिया. अब तक करीब 13 मरीजों ने निबंधन कराया है. जिनको तुरंत ट्रांसप्लांट की जरूरत है.
आते हैं ब्रेन डेड मरीज
शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एम्स और एनएमसीएच में आये दिन ब्रेन डेड मरीज आते हैं. अगर अस्पताल की ब्रेन डेड कमेटी एक्टिव रहती, तो इन अस्पतालों से संपर्क कर बॉडी को आइजीआइएमएस लाया जा सकता था.
फिर आसानी से लिवर, किडनी, कॉर्निया आदि अंग डोनेट करवाये जा सकते थे. वहीं अस्पताल सूत्रों की मानें, तो लिवर ट्रांसप्लांट के लिए बनायी गयी कमेटी के सदस्य संबंधित अस्पताल से संपर्क नहीं करते.
यहां सिर्फ 15 लाख में ही होना है ट्रांसप्लांट
दिल्ली एम्स में निर्धारित रेट की तर्ज पर आइजीआइएमएस में भी लिवर ट्रांसप्लांट करना है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि दिल्ली एम्स में लिवर ट्रांसप्लांट में करीब 14 लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि आइजीआइएमएस में करीब 15 लाख रुपये का खर्च आयेगा.
डॉक्टरों की मानें, तो लिवर ट्रांसप्लांट के बाद 10 वर्षों तक मरीज जीवित रह सकता है. आइजीआइएमएस के निदेशक डॉ एनआर विश्वास कहते हैं कि संस्थान लाइव डोनर से भी लिवर ट्रांसप्लांट करने की तैयारी कर रहा है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement