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पटना : स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के लाभुकों को मिलेगी अगली किस्त
पटना : सरकार ने स्टूडेंट कार्ड योजना के आवेदकों को बड़ी राहत दी है. जिन छात्रों को योजना के तहत बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम से न्यनूतम एक किस्त की राशि मिली है. उन्हें अब अगली किस्त की राशि भी मिलेगी. वैसे छात्रों जिनके संस्थान की जांच चल रही है. उन छात्रों के अगली किस्त […]
पटना : सरकार ने स्टूडेंट कार्ड योजना के आवेदकों को बड़ी राहत दी है. जिन छात्रों को योजना के तहत बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम से न्यनूतम एक किस्त की राशि मिली है. उन्हें अब अगली किस्त की राशि भी मिलेगी. वैसे छात्रों जिनके संस्थान की जांच चल रही है. उन छात्रों के अगली किस्त के भुगतान के संबंध में अलग से दिशा निर्देश निर्गत होगा.इस संबंध में शिक्षा विभाग के विशेष सचिव सतीश चंद्र झा ने बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम लिमिटेड को पत्र अवगत कराया है. विभाग के इस निर्णय से वैसे छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी जिसे इस बात की आशंका थी कि एक किस्त मिलने के बाद अगली किस्त का क्या होगा.
विभाग के18 जुलाई 2019 के जारी आदेश में आंशिक संशोधन से वैसे संस्थानों में पढ़नेवाले छात्रों को अगली किस्त का भुगतान हो जायेगा जिन संस्थानों में पढ़नेवाले छात्रों को पहली किस्त मिल गयी है. विभाग ने जांच के दौरान पकड़ाये कुछ संस्थानों के बाद सभी संस्थानों का अगली किस्त के भुगतान पर रोक लगायी थी. विभाग ने पांच जुलाई, 2019 को लाभ के संबंध में अर्हता निर्धारित की थी.
कभी मिशनरी स्कूलों की पढ़ाई से होती थी तुलना
पटना हाइस्कूल में पढ़े विद्यार्थी अपने स्कूल को दुनिया का बेस्ट स्कूल बनाना चाहते हैं. इस स्कूल के पुराने छात्रों ने एक स्वर में बताया कि जिस दौर में लड़कियां घरों से नहीं निकलती थीं, उस दौर में यहां की लड़कियां फुटबॉल के मैदान में गोल दागती थीं. बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे.
मिशनरी स्कूलों की पढ़ाई से इसकी तुलना होती थी. दरअसल यहां के शिक्षकों का उच्च कोटि का चरित्र था. वे बच्चों का चरित्र और भविष्य गढ़ते थे. यही वजह है कि स्कूल के तमाम छात्र आज देश-दुनिया के उच्च पदों पर अपनी पहचान बनाये हुए हैं. प्रभात खबर ने शनिवार को इस स्कूल के चुनिंदा पूर्ववर्ती विद्यार्थियों से बातचीत की.
क्या कहते हैं यहां से पास आउट स्टूडेंट
जीवन में सब कुछ पा चुका हूं लेकिन स्कूल मेरे जेहन में बसा है. उसे भूलना संभव नहीं. पिता तुल्य शिक्षकों की डांट और दुलार की यादें मुझे अब भी बच्चा बना देती हैं.
डॉ महितोष बनर्जी, 1951 बैच के सबसे उम्रदराज विद्यार्थी
इस स्कूल में पढ़ाई का स्तर हमेशा से ऊंचा रहा है. इसलिए यहां के बच्चे भी प्रतिभाशाली निकला करते थे. लड़कियां दूर से पढ़ने आती थीं. पांच किलोमीटर दूर से मैं खुद पढ़ने आता था.
गंगा प्रसाद, सिक्किम के राज्यपाल, 1956 बैच
मुझे पूरी उम्मीद है कि इसमें पढ़ रहे आज के बच्चे स्कूल का नाम रोशन करेंगे. हमारे समय में लड़कियों को पढ़ते देखने के लिए यहां आसपास के गांवों की महिलाएं आती थीं.
चंद्रशेखर ठाकुर, कर्नल, 1965 बैच
कल्पवृक्ष लगायेंगे उपराष्ट्रपति
पटना हाइस्कूल परिसर में रविवार को सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद कल्पवृक्ष का पौधा रोपेंगे. इस पौधे को मुंबई से लाया गया है. कल्पवृक्ष के जरिये पर्यावरण और विकास की निरंतरता की सीख दी जायेगी. 1919 में स्थापित इस स्कूल के 32वें प्राचार्य रविरंजन ने बताया कि रविवार को समारोह में सभी पूर्ववर्ती छात्रों को सम्मानित किया जायेगा. स्मारिका भी प्रकाशित होगी.
मैं इसे दुनिया के सबसे बेस्ट स्कूल के रूप में देखना चाहता हूं. तब के शिक्षक नि:स्वार्थ पढ़ाते थे. पढ़ाई की गुणवत्ता और माहौल के मामले में हमारा यह स्कूल विलक्षण था.
एनके सिन्हा, बिहार के राज्य सूचना आयुक्त, 1972 बैच
मध्यम वर्ग के लिए यह गिने-चुने स्कूलों में एक था. हिंदी मीडियम होने के बाद भी यहां अंग्रेजी की पढ़ायी अच्छी थी. यहां के बच्चे उस समय सभी तरह के कंपिटीशन पास कर बड़ी सरकारी सेवाओं में जाते थे.
आरबी सिन्हा, पूर्व महालेखाकार बिहार, 1971 बैच
इस स्कूल के हम ऋणी हैं. यह गौरव का विषय है कि हमारे स्कूल का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है. अब स्कूल की नयी पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वे स्कूल को गौरवान्वित करेंगे.
आलोक कुमार, असम के मुख्य सचिव,1972 बैच
हमारे समय के टीचरों में गजब का अनुशासन था. विषय पर पकड़ थी. वे बच्चों की हर समस्या का समाधान करते थे. गुरुकुल जैसा माहौल था. स्कूल में सीखी बातें आज भी हमारा मार्गदर्शन करती हैं.
अजय कुमार, रिजर्व बैंक मुंबई में महाप्रबंधक, 1975 बैच
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