पटना: मुसहरों की जिंदगी में बदलाव केवल योजनाएं बनाने से नहीं, बल्कि उनका कार्यान्वयन कराने से आयेगा. मुसहर विकास मंच, एक्शन एड, कोशिश चैरिटेबल ट्रस्ट व सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज द्वारा ‘मुसहर के जीवन की चुनौतियां’ पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने ये बातें कहीं.
मुजफ्फरपुर के डुमरी गांव में मुसहर समाज की स्थिति का अध्ययन करनेवाले सज्जाद हसन ने कहा कि साधन की कमी, व्यवहार में बदलाव, शिक्षा का अभाव, जीविका के साधन नहीं सहित कई अन्य समस्याएं हैं. सरकारी घोषणाएं जमीनी स्तर पर वास्तविकता से कोसों दूर हैं.
भूमि के अभाव में गैर मजरूआ जमीन से भी उन्हें उजाड़ दिया जाता है. गरीबी के फंदे में फंसे मुसहर खेतिहर मजदूर से उबर नहीं रहे हैं. उनकी बेहतर जिंदगी के लिए जागरूकता, प्रेरणा व क्षमता पैदा करने के लिए शिक्षा में गंभीर व टिकाऊ निवेश की जरूरत होगी. स्थानीय शासन में उन्हें अवसर मुहैया कराया जाये. राज्य महादलित आयोग के अध्यक्ष उदय मांझी ने कहा कि सरकार मुसहरों के उठाव के लिए हर संभव कोशिश कर रही है.
मुसहर समाज को जागरूक होने की जरूरत है, तभी वे आगे बढ़ पायेंगे. बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने कहा कि शिक्षा से ही मुसहर समाज की सामाजिक, आर्थिक स्थित ठीक हो सकती है. राजनीतिक छलांग लगाने से दायरा तो बढ़ा है, लेकिन असली छलांग जिंदगी में लगाने का है. पं. चंपारण से आयी रामपति देवी ने कहा कि वे चार डिसमिल जमीन के लिए पटना आयी है. बड़े लोगों को थाना पुलिस तो कुछ नहीं करती है, गरीबों को गैर मजरूआ जमीन से उजाड़ दिया जाता है. प्रो ज्यां द्रेज ने गया में मुसहर की स्थिति का आकलन करने पर कहा कि सरकारी योजनाओं का यही हश्र रहा, तो शायद पचास साल में भी उनकी स्थिति नहीं बदलेगी. प्रख्यात अर्थशास्त्री हर्ष मंदर ने कहा कि पॉलिसी का अमल होना जरूरी है. योजना बना कर काम होना चाहिए. परिचर्चा में मुसहर के विकास के लिए अलग से फंड की व्यवस्था करने, बच्चे के लिए आवासीय स्कूल खोलने सहित कई मांग रखी गयी. परिचर्चा को सुधा वर्गीज, विनय ओहदेदार, रूपेश, लालू मांझी आदि ने संबोधित किया.