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पटना : अधिग्रहण के बाद और तेज हो गया निर्माण का काम
दीघा क्षेत्र में तीन माह में 300 से अधिक निर्माण पटना : जनवरी माह में बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से दीघा के छह एकड़ जमीन पर विभिन्न सरकारी एजेंसियों को कब्जा दिलाने के बाद उस क्षेत्र में आम लोगों ने अपने निर्माण में तेजी ला दी है. खाली जमीन को जल्द से जल्द […]
दीघा क्षेत्र में तीन माह में 300 से अधिक निर्माण
पटना : जनवरी माह में बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से दीघा के छह एकड़ जमीन पर विभिन्न सरकारी एजेंसियों को कब्जा दिलाने के बाद उस क्षेत्र में आम लोगों ने अपने निर्माण में तेजी ला दी है. खाली जमीन को जल्द से जल्द अपने कब्जे में लेने के लिए लोगों ने नेपाली नगर व 1024 एकड़ के विवादित 400 एकड़ में लगभग तीन माह में तीन सौ से अधिक निर्माण किया है. हालात ऐसे हैं कि नेपाली नगर व घुड़दौड़ रोड क्षेत्र में लगातार 50 अधिक निर्माण पर अनवरत रूप से काम चल रहा है.
स्थानीय लोगों ने इस डर से काम में तेजी ला दिया है कि अगर जमीन खाली रही तो मामला अधिग्रहण में चला जायेगा. वहीं अगर मकान रहा तो अावास बोर्ड अचानक कब्जा करने या मकान को अधिग्रहण की जद में लेने में परेशानी होगी. गौरतलब है कि जनवरी माह में नेपाली नगर के सेक्टर सात में ढाई एकड़ सीबीएसइ, ढाई एकड़ एसएसबी आैर एक एकड़ जमीन के राजीव नगर थाने के लिए अधिग्रहण कर लिया गया था.
अब तक 400 से अधिक एफआइआर : इधर आवास बोर्ड के सचिव ने बताया कि अवैध निर्माण करने वालों पर लगातार कार्रवाई होती रही है. वर्ष 2016 से अब तक सवा चार सौ से अधिक लोगों पर एफआइआर किया जा चुका है.
फर्जी व गलत पते पर हो रही पावर ऑफ एटॉर्नी
पहले से रजिस्ट्री पर रोक के बाद पावर ऑफ एटार्नी को लेकर हुए आपसी विवाद पर लोगों ने नया काट निकाल लिया है. नेपाली नगर व अधिग्रहण में आयी आसपास की जमीन को लोग अब केवल पाॅवर ऑफ एटार्नी ही नहीं करा रहे. अधिकांश लोगों इसके लिए कोलकता में जा कर पॉवर ऑफ एटॉर्नी के बाद एक वसीयत भी तैयार कराया जाता है.
जिसमें जमीन देने की पूरी डिटेल होती है. इसके अलावा तीसरा कागज मनी रसीद भी कटाया जाता है. इसमें पैसे के लेन देन की जानकारी होती है. इसके लिए जमीन लेने व देने वाले दोनों पक्ष कोलकता में अपना अस्थायी व वर्तमान पता दिखाते हैं. फर्जी तरीके से कागज तैयार किया जाता है.
चुनाव बाद कई काम
इधर आवास बोर्ड ने जमीन नियमित करने के लिए कोई नापी का काम शुरू नहीं किया गया है. केवल आवास बोर्ड के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि चुनाव बाद वहां आवास बोर्ड का कार्यालय, जमीन घेराबंदी से लेकर जमीन नियमित करने के लिए पुराने आवेदनों पर काम किया जायेगा.
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