पटना : इन दिनों दिल्ली में मरीज के पैर से नस निकाल कर गर्दन व कंधे आदि जगहों की क्षतिग्रस्त हो चुकी या कटी नसों का प्रत्यारोपण किया जा रहा है. इससे मरीज की गर्दन व हाथ पहले की तरह काम करने लगते हैं. प्रत्यारोपण माइक्रो सर्जरी विधि से डॉक्टर कर रहे हैं. सर्जरी में आठ से 10 घंटे लगते हैं. यह कहना है दिल्ली से आये डॉ निशांत सोनी और एनएमसीएच हड्डी रोग विभाग के डॉ महेश प्रसाद का.
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गॉफकॉन 2019 : ग्लोबल ऑर्थोपेडिक्स फोरम की ओर से शुक्रवार को आयोजन, खराब हो चुकी नसों का हो रहा प्रत्यारोपण
पटना : इन दिनों दिल्ली में मरीज के पैर से नस निकाल कर गर्दन व कंधे आदि जगहों की क्षतिग्रस्त हो चुकी या कटी नसों का प्रत्यारोपण किया जा रहा है. इससे मरीज की गर्दन व हाथ पहले की तरह काम करने लगते हैं. प्रत्यारोपण माइक्रो सर्जरी विधि से डॉक्टर कर रहे हैं. सर्जरी में […]
ग्लोबल ऑर्थोपेडिक्स फोरम की ओर से शुक्रवार को गॉफकॉन 2019 का आयोजन हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन एमपी शाही, एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ अशोक कुमार सिन्हा व डॉ अमुल्या सिंह ने किया. जबकि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हाइकोर्ट के जस्टिस आशुतोष कुमार थे.
सीधे हो सकते हैं बच्चों के तिरछे पैर, प्लास्टर व सर्जरी से होता है इलाज
आयरलैंड से डॉ ओमायर ने फुट ज्वाइंट पर अपना व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि अगर किसी बच्चे का पैर तिरछा है तो वह सीधा हो जायेगा. डॉ ओमायर ने कहा कि तिरछे होने की समस्या को क्लब फुट कहते हैं. यह एक ऐसा रोग है, जिसमें जन्म से ही बच्चे के पैरों में टेढ़ापन रहता है. इसका इलाज प्लास्टर व सर्जरी से होता है.
वहीं अमेरिका से आये डॉ ओबी इडूसुयी ने टूटी हड्डी व त्वचा के बाहर हो चुकी हड्डी का एक्स-रे की बारीकियों को समझाया. पीएमसीएच के हड्डी रोग विभाग के डॉ राजीव आनंद ने पेडिकल स्ट्रू फिक्सेशन तकनीक पर अपने विचार रखे. बैठने की गलत शैली के कारण यूथ को रीढ़ की हड्डी की समस्या हो रही है. डॉ अमूल्या सिंह ने कहा कि सड़क हादसे के दौरान मरीज को सही तरीके से अस्पताल पहुंचाएं.
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